राजनीति के ‘चिर यौवन’

0
212

चाहे हम नाना-दादा की श्रेणी में आ गए हो, लेकिन राजनीति में 7 सक्रिय हैं इस नाते युवा हृदय सम्राट कहलाए जाते हैं। अब यह अलग बात है कि इस उपाधि की कीमत भी हम ही अदा करते रहे हैं। बहरहाल मुद्दे की बात यह है कि जब भी हमें कोई मुद्दा हाथ में आता है और हम आंदोलन कर देते हैं, तब अखबारी सुर्खियों में हमारे नाम के आगे वरिष्ठ युवा नेता लगाया जाता है। सीधी सी बात है कि जब वे 50 पार कर लेने के बाद भी राष्ट्र की युवा तरुणाई के प्रतीक कहलाए जाते हैं, तो हम भी तो 50 पार कर चुके हैं। यह राजनीति की ऊर्जा का ही कमाल है कि सठियाने के बावजूद नेतागिरी का चस्का असीम ऊर्जा एवं चेतना का संचार करता है। जब से बालों को रंगना आसान हुआ है, अधेड़ तो अधेड़ बल्कि प्रौढ़ावस्था में भी युवावस्था का अनुभव होने लगा है।

हम ठहरे उस जमाने के लोग जब बाजार मैं 1, 2, 3, 5, 10 और 20 पैसे के सिकों से शोपिंग की जाती थी। हमारे बचपन में चवन्नी अठन्नी दुर्लभ हुआ करती थी। देखतेदेखते जमाने में बदलाव हुएए बचपन से किशोरावस्था की ओर आते-आते युवा तरुणाई के रूप में तब्दील हो गए। मुद्दत गुजर गई, लेकिन हम आज भी युवा तरुणाई के नायक कहलाए जाते हैं। यह अलग बात है कि इस नायकी में रंगे बालों का मुख्य हाथ है। खैरए बदा-कदा हमारी भरपूर युवावस्था के पैर में खिंचाई गई फोटो पिछले 20-25 वर्षों से अखबारों की शोभा बढ़ाती रही है। कभी-कभी लगता है कि हम जब तक राजनीति में सक्रिय हैं मात्र तब तक के लिए ही युवा हैं।

यही कारण है कि हम अपना राजनीति के प्रति आसति भाव सदैव बनाए रखते हैं। हमने यह पाया है कि जो शख्सियत राजनीति में सक्रिय रहा करती है, चिर यौवन का वरदान प्राप्त हो जाती है। राजनीति में सक्रिय रहने वालों पर उसका प्रभाव कतई नहीं होता। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती चली जाती है वैसे-वैसे राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी परवान चढ़ा करती है। कहीं अवसर न मिले तो, इस बार नहीं तो अगली बार सही, ऐसी मनोभावना से दिलो-दिमाग में अलौकिक शति का प्रबल संचार होता रहता है। गरज यह कि शरीर चाहे कितना भी जर्जर हो गया हो, लेकिन युवा मन निरंतर अंगड़ाई लिया करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here