सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ होगा खरमास शुरू

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सूर्य कुम्भ में मीन राशि में
खरमास होगा प्रारम्भ, मांगलिक कार्यों पर लगेगा विराम
वृषभ, मिथुन, तुला एवं मकर राशि वालों को होगा विशेष लाभ

भारतीय ज्योतिष में सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। ज्योति की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है। सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ 15 मार्च खरमास प्रारम्भ हो चुका है। प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह के कुम्भ से मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास प्रारम्भ हो गया है। इस अवधि में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में मांगलिक कृत्य सम्पन्न नहीं होते, जबकि धार्मिक कृत्य विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न होते रहेंगे। विवाह, गृह प्रवेश, नव प्रतिष्ठान या व्यवसाय, वधू प्रवेश, उपनयन संस्कार, प्रतिमा प्रतिष्ठा नव-निर्माण आदि ये सभी कार्य खरमास की समाप्ति तक प्रतिबन्धित रहते हैं। इस बार सूर्यग्रह कुम्भ से मीन राशि में 14 मार्च, गुरुवार को अर्धरात्रि के पश्चात 5 बजकर 40 मिनट पर प्रवेश कर इस राशि में 14 अप्रैल, रविवार को दिन में 2 बजकर 09 मिनट तक रहेंगे। इस संक्रान्ति अवधि में बुध-सूर्य मीन राशि में, मंगल मेष राशि में, चन्द्रमा-राहु मिथुन राशि में, कर्क राशि में, वृहस्पति वृश्चिक राशि में, शनि-केतु धनु राशि में, शुक्र मकर राशि में विराजमान रहेंगे।

सम्भावित घटनाएं- श्री विमल जैन ने बताया कि विश्व में अकल्पित व अनहोनी घटनाओं की स्थिति बनी रहेगी। राजनैतिक उथलपुथल, देश-विदेश के राजनैतिक घटनाक्रम में अचानक तेजी से नये स्वरूप व गतिविधियां देखने को मिलेंगी। शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष हलचल देखने को मिलेगी। कई देशों में सत्ता परिवर्तन व पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे। दैविक आपदाएं, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका बनी रहेगी। किसी मुद्दे को लेकर जन आन्दोलन भी मुखर होगा। मौसम में भी अजीबों-गरीब परिवर्तन होगा। धार्मिक पक्ष को लेकर एक-दूसरे पर लोग छींटाकशी करेंगे। दैविक आपदाएं भी प्रभावी रहेंगी। आर्थिक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के लिए सिरदर्द बनेंगे। ज्योतर्विद श्री विमल जैन ने बताया कि इससे द्वादश राशियां भी प्रभावित होंगी।

मेष – नवयोजना का शुभारम्भ। ग्रहस्थिति पक्ष में। उपहार या सम्मान का लाभ। राजकीय पक्ष से लाभान्वित। बौद्धिक क्षमता में वृद्धि।।

वृषभ – समय आशा के विपरीत। अभिलाषा की पूर्ति में व्यवधान। मित्रों से अनबन। लेन-देन में जोखिम। अनावश्यक भ्रमण।।

मिथुन – सामयिक सिद्धि हेतु प्रयत्नशील। कठिनाइयों में कमी। परिवार में मंगल आयोजन सम्पन्न। जनकल्याण की भावना जागृत।।

कर्क – स्वास्थ्य में व्यतिक्रम। बौद्धिक क्षमता में कमी। उन्नति में व्यवधान। आरोप प्रत्यारोप की स्थिति। दाम्पत्य जीवन में अशांति।।

सिंह – उन्नति में बाधा। सामयिक सिद्धि का प्रयास निष्फल। स्वजनों से तनाव। वैचारिक स्थिरता का अभाव। स्पष्टवादिता घातक।।

कन्या – दाम्पत्य जीवन में कटुता। वाहन से दुर्घटना संभव। विचारों में उग्रता। महत्वपूर्ण उपलब्धि में विलम्ब। प्रतिष्ठा पर आघात।।

तुला – नवसम्पर्क लाभदायक। धनागम का सुअवसर। शत्रु परास्त। लाभार्जन का मार्ग प्रशस्त। आरोग्य सुख की प्राप्ति।।

वृश्चिक – व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें। स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता। पारिवारिक मतभेद उजागर। शारीरिक मानसिक कष्ट।।

धनु – सिद्धि का प्रयास असफल। आरोग्य सुख में कमी। वाद-विवाद की सम्भव। विश्वासघात की आशंका। वाहन से कष्ट।।

मकर – भौतिक सुख सुविधा में कमी। प्रतिष्ठा पर आघात। ग्रहस्थिति भाग्य के विपरीत। व्यापार में हानि। यात्रा निष्फल।।

कुम्भ – व्यक्तिगत परेशानी कम। धन संचय की ओर प्रवृत्ति। जनकल्याण की भावना जागृत। आत्मीयजनों से अपेक्षित सहयोग।।

मीन – विरोधी प्रभावी। ग्रहस्थिति प्रतिकूल। उलझनें प्रभावी। पुरुषार्थ में अरुचि। आर्थिक पक्ष से कष्ट। अपयश की आशंका।।

जिनके सूर्यग्रह विपरीत हों, उन्हें अपने कार्यों में सूझ-बूझ व सतर्कता के साथ ही जोखिम के कार्यों से दूर रहना चाहिए।

विशेष – सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रातःकाल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदिप्यह्रदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्त्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए। रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएं जैसे – लाल वस्त्र, गेहूं, गुडं, तांबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएं नगद दक्षिणा सहित ब्राह्मण को संकल्प के साथ देना चाहिए।

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