जब हम बच्चे थे तो ‘थ्री मेन इन अ बोट’ नाम की किताब बहुत पसंद थी। इसे जेरोम लाप्का जेरोम ने लिखा था। बाद में इसके शीर्षक में ‘टू से नथिंग ऑफ द डॉग’ भी जुड़ गया। यह थेम्स नदी पर नाव में दो हफ्तों की यात्रा की कहानी थी। बतौर मजेदार ट्रैवल गाइड लिखी गई यह किताब बाद में तीन दोस्तों की मोंटमोरेंसी नाम के कुो के साथ छोटी नाव पर यात्रा की कहानी के मजेदार उपन्यास के रूप में मशहूर हुई। कई लोग मोंटमोरेंसी को इस कहानी का हीरो मानते हैं। तब से दुनिया काफी बदल गई है। अब छोटी नाव की जगह चमचमाते सफेद पंखों वाले रॉकेट और भविष्य के स्पेसक्राफ्ट ने ले ली है। तीन दिन पहले हमने ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन को फ्लाइंग मशीन में धरती से 55 मील ऊपर जाते और एडवेंचर टूरिज्म के अगले स्तर की शुरुआत करते देखा। उन्होंने ऐसा अरबपति प्रदिद्वंद्वी जेफ बेजोस से कुछ दिन पहले किया। अगले हफ्ते बेजोस भी अपने ब्लू ओरिजिन क्राफ्ट से धरती से 66 मील ऊपर जाएंगे। उनके साथ उनके भाई मार्क और एविएशन से जुड़ी रहीं 82 वर्षीय वॉली फंक भी जाएंगी।
उनके लिए यह झटका है, जो कहते हैं कि इस उम्र की महिला को ऐसी चीजें घर बैठकर टीवी पर देखना चाहिए। सितारों को लक्ष्य बनाने वाले तीसरे अरबपति एलन मस्क ने 2020 की गर्मियों में ही इसकी शुरुआत कर दी थी, जब उनका स्पेसएस अंतरिक्ष में गया था। हालांकि वे उसमें नहीं गए थे। मस्क दावा करते हैं कि वे मंगल ग्रह पर मरना चाहते हैं, जहां उनकी 2050 तक शहर बसाने की योजना है। अब आपके पास थेम्स नदी में नाव में यात्रा करते तीन पुरुष नहीं है, बल्कि डिजाइनर स्पेसक्राफ्ट में शून्य के अंधेरे में उड़ते तीन पुरुष हैं, जिनके पास न गाइड बुक है और न ही साथ देने के लिए मोंटमोरेंसी। आज के तीन सबसे बड़े ब्रांड, वर्जिन, एमेजॉन और टेस्ला, अपने आधिपत्य को जोखिम में डालकर अतंरिक्ष यात्रा के बाजार में अरबों खर्च कर रहे हैं। इनका नेतृत्व कर रहे हैं तीन पुरुष, जिनकी उम्र ढलती हुई, पचास के पार है। लेकिन 50 पार होने में परेशानी या है? यह पारंपरिक ज्ञान है कि 50 के बाद लोग कमजोर होने लगते हैं और उन्हें दूसरों को रास्ता देना चाहिए।
सारे उद्योग उाराधिकार और सेवानिवृत्ति की योजना बनाने और अंत में यह सुनिश्चित करने के विचार के आसपास विकसित हुए हैं कि अच्छे कामों के साथ आखिरी दिनों में प्रवेश करो। ब्रैनसन 71 वर्ष के हैं, बेजोस 60 के करीब हैं, मास्क पिछले महीने 50 पार हुए। उनका एडवेंचर कम से कम इस मिथक को तो तोड़ेगा कि 50 के बाद जीवन ढलने लगता है। एजिज्म (बुजुर्गों के भेदभाव) की अवधारणा भले की आधी सदी पहले आई हो, लेकिन इस विचार को तब से बढ़ाया जा रहा है, जब से राजनेताओं को पता चला है कि युवा वोट को पोषित करना और वादों से बहलाना आसान है। आज दक्षिणपंथी पार्टियां यही कर रही हैं। इस देश का सबसे अच्छा हुनर 50 के पार ही रहा है। लोग स्वस्थ और लंबे जीवन के लिए तमाम जतन करते हैं। और अचानक कार्यस्थल पर उनसे कोई कहता है कि उनका समय समाप्त हो गया, अब वे जा सकते हैं।
मेरे पिता जब रिटायर हुए, तब रिटायमेंट की उम्र 55 होती थी। वे इसके बाद 20 वर्ष और जिए, लेकिन इस अपमान के साथ कि जिस उम्र में वे फिट थे और टेनिस के तीन गेम खेलते थे, जब उन्हें गैरजरूरी बता दिया गया। किसी को भी यह सुनना पसंद नहीं कि उनकी उम्र उनकी क्षमता बताती है। एजिज्म यही करता है। यह लिंगभेद और नस्लभेद जैसा ही अपमानजनक है। आपसे यह कहा जाना कि अब आपकी जरूरत नहीं है, योंकि आपकी उम्र हो गई है। मैं जिन सबसे दिलचस्प लोगों को जानता हूं, वे 50 पार हैं। मेरे लिए 50 से कम वालों के साथ रहना, ढेरों टिकटॉकर्स, यूट्यूबर्स, इंफ्लूएंसर्स, सेलिब्रिटीज के साथ जिंदगी साझा करना भयानक होगा। इसकी बजाय मैं गुमनामी में रहकर मर्जी का काम करता रहूंगा, जब तक कि मोंटमोरेंसी को गाइड बनाकर नर्क के द्वार पर नहीं पहुंचता। आवारा कुाा भी चलेगा। याद है न, युधिष्ठिर ने स्वर्ग में कैसे प्रवेश किया था?
प्रीतीश नंदी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म निर्माता हैं ये उनके निजी विचार हैं)