अगर हमें बच्चों को सशक्त करना है, जिससे वे अपने निर्णय स्वयं ले सकें और सही निर्णय ले सकें, तो हमें अपना आभामंडल श्वेत करना होगा। श्वेत आभामंडल यानी नकारात्मक बातों, भावों से दूरी। हमारे अंदर कौन-सी ऐसी चीजें हैं जो हमारे आभामंडल के श्वेत रंग को दूषित करती हैं या बदलती हैं। झूठ बोलना, गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन, परनिंदा, बेकार विचार, नफरत, जलन, अधीरता, तुलना, आलोचना, लालच, डर, आदि ऐसी चीजें हैं जो हमारे आभामंडल के रंग को दागदार करती हैं।
अब आप ही तय कीजिए कि क्या हमें रोज थोड़ा-सा समय निकालना चाहिए ये दाग निकालने के लिए। आज के समय में हम जितनी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उसका यही कारण है कि मेरे पास ये दाग साफ करने का समय नहीं है क्योंकि मैं धन कमा रहा हूं, परिवार को संभाल रहा हूं। सबसे पहले आप यह तय कर लें कि मुझे रोज एक घंटा अपने ऊर्जा क्षेत्र की सफाई करना है। किसी के भी संस्कार कुछ दिनों में ही नहीं बदल सकते। इसके लिए हर रोज अपने ऊपर मेहनत करनी होती है।
सबसे जरूरी संस्कार है आत्म अनुशासन। जीवन में संयम और नियम बहुत ही महत्वपूर्ण है। धन कमाने के लिए इतनी मेहनत करते हैं और अंदरूनी शक्ति कमाने के लिए समय नहीं है तो यह अपने आपके साथ धोखा है। अगर आप एक बार आध्यात्मिक ऊर्जा से निकलकर बाहर की ऊर्जा में पहुंच गए, जहां सारे लोग कह रहे हैं कि समय नहीं है, आजकल तो मरने की भी फुर्सत नहीं है, तो ऐसे माहौल में हम भी सोचने लगते हैं कि वाकई हमारे पास, हमारे लिए ही समय नहीं है। ऐसा होना स्वाभाविक है।
कुछ लोग तो समय तब निकालते हैं, जब हमारे जीवन में कोई संकट आ जाता है। जैसे कुछ लोग नियम से एक्सरसाइज करते हैं, नियम से वॉक करते हैं और कुछ लोग तब करते हैं जब डॉक्टर बोलता है। तब तक शरीर में पहले ही कई परेशानियां हो चुकी होती हैं। अगर प्राथमिकता तय हो गई ना किसी के अंदर की आंतरिक शक्ति मेरी और मेरे परिवार की सबसे पहली प्राथमिकता है, तो फिर एक घंटा निकालना कोई मुश्किल नहीं है।
यह समय हम निकाल रहे हैं अपने आभामंडल को श्वेत करने के लिए। जिनका आभामंडल श्वेत होता जाएगा, उनको इससे जुड़े काम करने में ही ज्यादा आनंद आएगा। आप देख पाएंगे कि आप अंधकारमय आभामंडल के साथ कोई काम करें और फिर श्वेत आभामंडल के साथ सारा दिन वो ही काम करें तो आपको अंतर साफ दिखेगा। सच बोलने में समय नहीं लगता है लेकिन सच बोलने की ताकत चाहिए।
सच बोलने में समय तो लगेगा, झूठ बोलने में कहानी इधर से बनानी पड़ती है, उधर से बनानी पड़ती है, फिर उसके बाद डर भी लगता है। फिर सारा ध्यान रखने के बाद भी कहीं न कहीं कुछ गफलत हो ही जाती है। फिर उसे ठीक करने में और समय लगता है। लेकिन ये सारा समय बच सकता था। लेकिन सच बोलने के लिए और सच बोलने के बाद और सही कर्म करने के बाद उसके परिणामों का सामना करने के लिए भी ताकत चाहिए। उन चीजों के लिए समय नहीं चाहिए, उन चीजों के लिए ताकत चाहिए।
जो लोग श्वेत आभामंडल के साथ काम करते हैं, वे सारे दिन में कभी गुस्सा नहीं करेंगे। उन्हें तनाव शब्द तो पता ही नहीं होगा उसके बाद। जब तनाव होता है तो मन भ्रम की स्थिति में चला जाता है। फैसला कभी-कभी गलत भी हो जाता है। सबसे जरूरी बात कि फैसला लेने में भी समय ज्यादा लगता है। ऐसा करूं कि वैसा करूं, ये करूं या वो करूं। पर जिसका आभमंडल श्वेत होगा, उसका चित बिल्कुल साफ होगा, वह बिल्कुल शांत होगा।
वो जो फैसले लेगा, वो तर्क से नहीं, सहज ज्ञान से लेगा। यह ज्ञान कि यह सही है। सबसे जरूरी यह है कि वो अपने काम में और अपने बिजनेस में परमात्मा को साझेदार बना लेगा। कर्मयोगी बन जाएंगे, मतलब जो योग में रहते हुए कर्म करते हैं, तो उनका हर फैसला बिल्कुल सटीक होगा। जब फैसले सही होंगे, तो फैसले के नतीजे भी सही होंगे। एक और चीज जो बहुत अच्छी हो जाएगी कि हमें लोगों की सही पहचान पहचान भी होने लगेगी।
बीके शिवानी
(लेखिका ब्रह्मकुमारी हैं ये उनके निजी विचार हैं)