आज खत्म होगा फाल्गुन मास का कृष्ण पक्ष कल से शुल पक्ष का हो जाएगा आरंभ

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सूर्योदय जिस तिथि में होता है, उस दिन वही तिथि मान्य होती है

शनिवार, 13 मार्च को फाल्गुन मास की अमावस्या है। इस दिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष खत्म होगा और 14 तारीख से शुल पक्ष शुरू हो जाएगा। 12 तारीख की दोपहर करीब 3 बजे से अमावस्या तिथि शुरू हो गई, लेकिन ये पर्व 13 को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सूर्योदय जिस तिथि में होता है, उस दिन वही तिथि मान्य होती है। 13 तारीख को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी और दोपहर में 3 बजे के बाद फाल्गनु शुल पक्ष की प्रतिपदा शुरू होगी। इसीलिए 13 तारीख को अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। शनिवार को अमावस्या होने से इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। शनिवार और अमावस्या के योग में शनिदेव के अलावा पितर देवता के लिए भी विशेष धूप-ध्यान जरूर करें। शनिदेव के लिए तेल का दान करें।

ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। तिल के तेल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं और मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। शनिदेव के लिए काले वस्त्र और काले कंबल का भी दान करना चाहिए। अमावस्या की दोपहर करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इसके लिए गोबर का कंडा जलाएं और जब धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़- घी डालकर धूप दें। धूप देते समय पितरों का ध्यान करें। जरूरतमंद लोगों को खाना दान करें। अमावस्या पर चंद्र दिखाई नहीं देता है। ये दिन चंद्र की अमा नाम की कला से संबंधित है। इस कला में चंद्र की सभी कलाओं की शक्तियां रहती हैं। इसीलिए अमावस्या पर चंद्र की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।

चंद्र के मंत्र ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें। शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं और बिल्व पत्र चढ़ाएं। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। अगर इस दिन किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी नदियों का तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य फल मिल सकता है।

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