पुराने समय में एक बूढ़े किसान के तीन बेटे थे। उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी और तीनों बेटे कुंवारे थे। एक किसान ने अपने बेटों को बुलाया और अपने पास जमा किए हुए सोने की तीन बराबर हिस्से करके तीनों बेटों को दे दिए। पिता ने बच्चों से कहा कि अब मेरा अंतिम समय आ गया है। इस सोने का सही इस्तेमाल करोगे तो जीवन में हमेशा खुश रहोगे। इतना बोलते ही बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। तीनों बेटों ने पिता के अंतिम संस्कार के बाद तय किया कि अपने-अपने हिस्से का सोने लेकर तीनों अलग- अलग दिशाओं में जाएंगे। 3 साल बाद फिर से अपने घर लौट आएंगे। तब तक तीनों ने अपनी किस्मत आजमाने की योजना बनाई और अलग-अलग दिशाओं में चल दिए। बड़े बेटे का मन पूजा-पाठ करने में लगा रहता था। वह साधु बन गया। उसने पिता द्वारा दिए गए सोने को मंदिर में रख दिया और रोज उसकी पूजा करने करने लगा। उसने सोचा कि ऐसा करने से पिता की आत्मा को शांति मिलेगी। दूसरे बेटे को कविताएं लिखने और तरह-तरह रिसर्च करने का शौक था। उसने सोने पर कविताएं लिखी और सोने पर कई तरह की रिसर्च की। दोनों लड़के किसी तरह अपने खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे थे। जबकि सबसे छोटा भाई बहुत बुद्धिमान था। उसने पिता द्वारा दिए गए सोने को बेच दिया और उस धन गांव में खेत खरीदा लिया। खेत पर उसने खूब मेहनत की। फसल उगाई और उससे बहुत पैसा कमाया। तीन साल बाद तीनों बेटे अपने-अपने घर पहुंचे तो दो भाइयों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। जबकि तीसरा भाई बहुत धनी बन चुका था। उसने अपने दोनों बड़े भाइयों को बताया कि वह किस तरह धनवान हो गया है। बड़े भाइयों को अपनी गलती का एहसास हो गया। वे समझ गए कि उन्होंने अवसर का सही उपयोग नहीं किया, इस कारण उनकी हालत और ज्यादा बिगड़ गई है। इस कथा की सीख यह है कि हमें जो भी अवसर मिलते हैं, उनका बुद्धिमानी के साथ उपयोग करना चाहिए। वरना समय निकलने के बाद पछताना पड़ता है। अवसरों को पहचानें और उनका सही इस्तेमाल करें।