जिंदगी में सुरक्षा जैसी कोई चीज़ नहीं

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‘मैंने काफी बुरे दौर में काम शुरू किया था। तब लोग एड्स से मर रहे थे। यह 1979 था और न्यू यॉर्क बेहद डरावनी जगह हुआ करती थी। यहां पहले ही साल मुझे किडनैप कर लिया गया। मेरे घर में इतनी चोरी और डकैती हुई कि मैंने दरवाजा लॉक करना ही छोड़ दिया। कुछ ही वर्षों में मैंने ड्रग्स, एड्स और गनशॉट्स के कारण लगभग हर दोस्त खो दिया।

मुझे अपनी क्रिएटिव जिंदगी की ओर लौटने के लिए खुद को इकट्ठा करना पड़ा। मैंने अपना आराम… माया एंजिलो की कविताओं में ढूंढा, जेम्स बैल्डविन के लेखन में पाया और नीना सिमोन के संगीत में हासिल किया। इनकी मदद से मैंने अहसास किया कि मैं ज्यादा वक्त तक प्रताड़ित नहीं रह सकती।

मेरे साथ जो हुआ किसी वजह से हुआ। मेरा काम इन बातों से सीख लेकर आगे बढ़ना है। लेकिन इस सबने मुझे यह याद दिलाया कि मैं कमजोर हूं और जिंदगी में असली सुरक्षा जैसी कोई चीज नहीं सिवाए खुद पर यकीन करने के।

मेरे फेवरेट डेविड बोवी ने मुझे सोचना सिखाया कि नियम जैसी कोई चीज़ नहीं है, लेकिन मैं गलत थी। नियम नहीं हैं – अगर आप पुरुष हैं तो। आप महिला हैं तो आपको खेल खेलना होगा। ये खेल क्या है? आप खूबसूरत, क्यूट दिख सकते हो, लेकिन ज्यादा होशियार साबित नहीं हो सकते। आप अपने विचार नहीं रख सकते। विचार रखना तो दूर, उनके समकक्ष खड़े नहीं हो सकते। आपको पुरुषों के मुताबिक कपड़े पहनने होंगे, वो आपको वस्तु समान ट्रीट कर सकते हैं। कितनी ही खराब ड्रेस आप पहनें लेकिन अंदरूनी भावनाओं के प्रदर्शन की आपको इजाज़त नहीं है…और सबसे बड़ा नियम यह कि आप दुनिया को अपनी कल्पनाओं के बारे में नहीं बता सकते। आप सिर्फ वो हो सकते हो, जैसा पुरुष आपको दिखाना चाहते हैं।

अंतिम नियम यह कि आप बूढ़ी मत होइए। उम्र का आप पर असर नहीं दिखना चाहिए। अगर यह दिखा तो आपकी आलोचना होगी, तिरस्कार होगा और आपके गानों को रेडियो पर बैन भी कर दिया जाएगा।

जब मेरी शादी हुई तो मुझे अकेला छोड़ दिया गया क्योंकि मैं बाजार से बाहर हो गई थी। कुछ समय के लिए मैं किसी के लिए कोई ‘डर’ नहीं थी। कुछ साल बाद जब मेरा डिवोर्स हुआ और मैं फिर सिंगल हुई तो मैंने ‘इरॉटिका’ एलबम रिलीज किया और एक किताब रिलीज की। मैं फिर हर अखबार और मैगज़ीन की हेडलाइन में थी।

लेकिन जो भी मेरे बारे में लिखा गया वो अच्छा नहीं था। एक शीर्षक में तो मेरी तुलना ‘सेटन’ से की गई… मैं थोड़ा ठिठकी कि कहीं ये वो प्रिंस तो नहीं जो हाई हील्स पहनता है, लिपस्टिक लगाता है और फिशनेट पहनकर घूमता है। हां, यह तुलना उसी से थी, लेकिन वो पुरुष था और यह सब कर सकता था। यह पहली बार था जब मुझे अहसास हुआ कि महिलाओं के पास वैसी आजादी नहीं जैसी पुरुषों को हासिल है।

लोग कहते हैं मैं विवादों से घिरी रहती हूं, लेकिन मैं सोचती हूं कि सबसे विवादित काम जो मैंने किया है, वो यह है कि मैं अभी तक यहीं कायम हूं। मैं वाकई लकी हूं और हर दिन इसके लिए शुक्राना करती हूं।

महिलाएं इतने लंबे समय से उत्पीड़ित हैं कि वो यकीन करने लगी हैं कि जो पुरुष उनके बारे में कहें उसे सच मानना है। वो यकीन करने लगी हैं कि उन्हें एक पुरुष की जरूरत होगी ही। कुछ पुरुष वाकई अच्छे होते हैं लेकिन मैं मानती हूं कि बतौर महिला हमें ही एक-दूसरे की अहमियत समझना होगी।

एक मजबूत महिला को दोस्त बनाइए। उसके साथ तालमेल बैठाइए। उससे सीखिए, प्रभावित होइए, सहयोग लीजिए। आलोचकों ने मुझे जो दिया, उससे मैं इतना मजबूत हुई जितना खुद कभी नहीं हो पाती। मैं आज फाइटर हूं, कर्मठ हूं… सिर्फ आपकी वजह से। आपने मुझे वो महिला बनाया जो आज मैं हूं।’

मैडोना
(लेखिका पॉप लेजेंड हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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