गीता सार

0
557

इस जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं होता है। मन बहुत ही चंचल होता है और इसे नियंत्रित करना कठिन है। परन्तु अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here