हाल ही में जब मैं इंदौर से भोपाल लौट रहा था तब स्टेट हैंगर पर जानकारी मिली कि होशंगाबाद जिले के किसानों से अनुबंध के बावजूद फॉर्चून राइस लि. धान नहीं खरीद रहा है। इस मामले में जिला प्रशासन ने नए कृषि कानून किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 के प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की और किसान भाइयों को 24 घंटे में न्याय दिलाया। कंपनी को अनुबंधित कृषकों से तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने हेतु आदेशित किया गया। इस अधिनियम के तहत लिए गए फैसले से किसान काफी खुश हैं।
मुझे लगा कि मध्यप्रदेश के इस अनुभव को देशभर के खासकर कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान भाइयों से साझा करूं ताकि कृषि कानूनों को लेकर उनकी आशंकाओं को दूर किया जा सके। कोविड काल और इतनी ठंड में धरना दे रहे किसानों को लेकर मेरे मन में पीड़ा है कि वे नाहक ही धरने पर बैठे हैं। उन्हें समझना चाहिए कि केवल पुराने कानूनों से खेती को लाभ का धंधा नहीं बना सकते हैं, आत्मनिर्भर भारत में ये कृषि कानून मील का पत्थर साबित होंगे क्योंकि आज के दौर का आधुनिक किसान उन्नत तकनीक से जुड़ेगा और देशभर में मर्जी से अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
किसान नए कानूनों को लेकर भ्रमित ना हों। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद होती रही है, आगे भी जारी रहेगी। मंडियों में पहले की तरह व्यापार होता रहेगा, बल्कि अब किसानों को मंडी के अलावा फसल बेचने के और भी कई विकल्प मिलेंगे। किसान अपनी उपज का मूल्य स्वयं तय कर सकेंगे, अनुबंध में उनको पूरी आजादी मिलेगी।
देश में हजारों कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं, जिससे छोटे किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने में सुविधा होगी। कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ फसल का होगा, किसान की जमीन का नहीं। कोई भी विवाद होने की स्थिति में कोर्ट कचहरी जाए बिना स्थानीय स्तर पर ही विवाद को निपटाने की व्यवस्था की गई है।
2011 में यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और शरद पवार कृषि मंत्री थे, तब खुद पवार जी ने मुझे चिट्ठी लिखकर आग्रह किया था कि ‘एपीएमसी मॉडल एक्ट लागू किया जाए।’ कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणापत्र में पेज नंबर 17 पॉइंट नंबर 11 में साफ लिखा था, ‘कांग्रेस एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी एक्ट को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी, जिसमें निर्यात और अंतरराज्य व्यापार भी शामिल होगा, जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा।’ लेकिन अब जब यह मोदी जी ने किसानों के हित में कर दिया तब कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहाने लगी।
उत्पादन लागत कम करने के लिए तथा कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए प्रयास है कि जैव प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, डाटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तकनीकों का अन्नदाताओं को फायदा मिले। पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक का प्रयोग करके किसानों को मिलने वाली सुविधाओं के आधुनिकीकरण पर हमारा जोर है। कृषि अधोसंरचना के विकास के लिए अलग से आत्मनिर्भर कृषि मिशन का गठन किया है। इससे ना केवल कृषकों की आय बढ़ेगी बल्कि कृषि आधारित उद्योगों से लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
मैं यहां बता देता हूं कि मध्यप्रदेश में अनुबंध खेती का चलन लंबे समय से है तथा लाखों किसान सफलतापूर्वक अनुबंध खेती कर रहे हैं। एमपी के किसानों का यह अनुभव भी सुखद रहा है कि उनकी फसलों की खरीदी मंडियों के साथ-साथ मंडियों के बाहर भी हो रही है और मंडियों के बाहर भी फसल की अच्छी कीमत मिल रही है।
शिवराज सिंह चौहान
(लेखक एमपी के मुख्यमंत्री हैं ये उनके निजी विचार हैं)