ऐसे समाज को बदल डालो

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दुनिया चांद पर पहुंच गई है और भारत है कि जातिवाद की जकडऩ में ही सिसक रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही हाल है। जहां अनपढ़ हैं वहां भी और जहां पढ़े-लिखे हैं वहां और भी ज्यादा। नया शर्मनाक मामला कर्नाटक के मैसूर जिले में एक गांव हल्लारे से सामना आया है। यहां एक नाई ने छोटी जातियों के बाल या काटे कि उसकी शामत ही आ गई। मल्लिकार्जुन शेट्टी अपनी छोटी सी सैलून की दुकान चलाते हैं। हर समुदाय के लोग उनके यहां बाल कटवाने, शेविंग करवाने के लिए आते हैं। वो बिना किसी भेदभाव के अपना काम करते हैं। बदले में जो पैसे मिलते हैं उससे परिवार का खर्च चलाते हैं। कुछ दिनों से वो परिवार सहित सामाजिक बहिष्कार झेल रहा है। ऊपर से जुर्माना भी। वो भी एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार। वजह सिर्फ इतनी है कि उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के बाल काटे हैं। मल्लिकार्जुन बताते हैं कि उनकी दुकान पर ऊंची जाति के कुछ लोग आए। उन्होंने धमकी दी कि दलितों के बाल नहीं काटो। जब भेदभाव करने से इनकार किया तो उन लोगों ने कहा कि इनसे ज्यादा पैसे चार्ज करो नहीं तो तुहारा सामाजिक बहिष्कार करेंगे और तुम पर जुर्माना भी लगेगा।

वो कहते हैं, जब हमने शिकायत करने की बात कही तो उन लोगों ने मुझे धमकी दी। भला-बुरा कहा, मारपीट की और 5 हजार रुपये भी छीन लिए। फिलहाल मल्लिकार्जुन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा है। उसके साथ गांव के ऊंची कास्ट के लोगों ने उनका सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया है। 47 साल के मल्लिकार्जुन कहते हैं कि मेरे लिए सभी जाति बराबर है। मैं किसी से ज्यादा पैसे क्यों लूं? 80 रुरुपये बाल काटने के और 60 रु शेविंग की लेता हूं। किसी की धमकी के डर से मैं 300-400 रु चार्ज नहीं कर सकता। यह उचित नहीं होगा। ये ऊंची जाति के लोग ऐसा करने के लिए मुझ पर दबाव डालते हैं। वो बताते हैं कि कुछ दिन पहले ये लोग मेरे बेटे को जबरन उठा ले गए थे। उसे इन लोगों ने शराब पिलाई और नंगा करके वीडियो बनाया। जबरन उससे एक कयुनिटी के खिलाफ भला बुरा कहलवाया। अब ये लोग उस वीडियो को वायरल करने की धमकी देते हैं। मल्लिकार्जुन ने बताया कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब उसके ऊपर इतना भारी जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले भी दो बार वह जुर्माना भर चुका है। उसने बताया कि गांव के चन्ना नाइक और दूसरे लोग उसे प्रताडि़त कर रहे हैं।

उसे धमकी दी जा रही है, क्योंकि उसने एससी- एसटी समुदाय से जुड़े लोगों के बाल काटे और दाढ़ी बनाई है। मल्लिकार्जुन ने बताया कि उसने इस मामले की शिकायत अधिकारियों से की है। उसके परिवार की जान को खतरा है। अगर अधिकारियों ने मदद नहीं की तो वह और उसका परिवार खुद जान दे देंगे क्योंकि वे लोग बहुत परेशान हो चुके हैं। वह कहते हैं कि मैं इन लोगों की शिकायत लेकर कई बार नंजनगुड तहसीलदार के पास गया लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्हें पत्र भी लिखकर भी मदद की गुहार लगाई है। मल्लिकार्जुन बताते हैं कि मैंने कई बार पुलिस से भी मदद की मांग की। लेकिन आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मेरी प्रशासन से बस इतनी मांग है कि मेरे साथ ये सलूक नहीं किया जाए। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? प्रशासन और समाज के ठेकेदार चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं? अगर अब भी हम नहीं चेते तो ऐसे समाज में कैसे रहा जा सकता है? बदलना तो पड़ेगा समाज को। तो फिर कब आएगा वो दिन जब कहीं जातिवाद का जहर कहर नहीं ढाएगा।

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