अगर आप अपने आस-पास होने वाली बातचीत पर ध्यान देंगे, तो आपको कोई न कोई यह पूछता हुआ जरूर मिल जाएगा कि ‘आप ओटीटी पर या देख रहे हैं?’ यह देखना रोचक है कि कहानियां कैसे बातचीत शुरू करवाने का ज़रिया बनती हैं और लोगों को जोड़ती हैं। हाल ही में, मैंने स्कूल के अपने दोस्तों से ज़ूम कॉल पर यह सवाल पूछा। उनके जवाबों ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया। एक मां और उसकी बेटी के रिश्ते पर आधारित मसाबा-मसाबा, ऐतिहासिक घटनाओं के परिदृश्य वाली ब्रिटिश राजपरिवार के जीवन की झलक प्रस्तुत करती द क्राउन, 19वीं सदी के बंगाल की एक महिला की रहस्यमय कहानी बुलबुल से लेकर कोरियन रोमांटिक ड्रामा ‘क्रैश लैंडिंग ऑन यू’ तक- मैंने हम सब की पसंद में विविधता देखी। मैंने उनसे पूछा कि इन कहानियों में उन्हें या पसंद आया, उनके जवाबों में एक बात सामान्य थी कि वे कहानियां उन्हें अलग दुनिया में ले जाती हैं- ऐसी दुनिया जो उनके लिए बिल्कुल नई थी, या ऐसी दुनिया जो उन्हें अपनी-सी लगी और वे इसके बारे में और ज़्यादा जानना चाहते थे। कहानियां केवल लोगों का मनोरंजन ही नहीं करती हैं, उनमें संवेदना भी जगाती हैं, सकारात्मक बदलाव लाती हैं और दुनिया की बेहतर समझ देती हैं।
खासकर आज कल जब हममें से कई लोग अपने घरों में सीमित हैं, तब हम एक अलग सी दुनिया से परिचित होते हैं, जब हम ऐसी कहानियां देखते हैं जो पहले न देखी हो। कहानियों में लोकेशंस उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जितना उनके किरदार। एक ऐसी कहानी की कल्पना कीजिए, जिसमें पांच दोस्त स्कूल खत्म होने के बाद खेल रहे हैं। चाहे उन्हें मुंबई की भीड़ भरी गली में या फिर लखनऊ के बड़े मैदान में खेलते दिखाया जाए- उनके किरदारों और बर्ताव के बारे में बहुत कुछ पता चलेगा। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं, हमें नए परिदृश्यों में ले जाकर कहानियां हमारे भीतर फिल्मों और टीवी सीरीज में दिखाए गए स्थानों पर सचमुच में जाने की इच्छा जगाती हैं। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे देखने के बाद हम सब ने अपनी घूमने जाने वाली जगहों की सूची में स्विट्जऱलैंड को रख लिया था और जिंदगी ना मिलेगी दोबारा के बाद स्पेन के इतिहास को लेकर उत्सुक हो गए थे। इसी तरह, दिल चाहता है के बाद हमने अपने दोस्तों के साथ गोवा देखना चाहा और ये जवानी है दीवानी के बाद उदयपुर की सुंदरता में खो जाने का मन किया।
टाइटल और डबिंग के माध्यम से भाषा की बाधा खत्म हो रही है और अब ज्यादा से ज्यादा दर्शक दुनियाभर की बढिय़ा कहानियों का आनंद ले पा रहे है। भारत में नेटफ्लिस ने 20 से ज्यादा कस्बों और शहरों में शूटिंग की है। मस्का में मुंबई के ईरानी कैफ़े की खूबसूरती, स्ट्रीट फ़ूड एशिया ने दिल्ली के स्ट्रीट फ़ूड से रूबरू करवाया और बार्ड ऑफ ब्लड में लेह के रोमांचक शॉट्स ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जो हमें इन स्थानों पर जाने की प्रेरणा देते हैं। हमारी कहानियां पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। इससे स्थानीय व्यवसायों, अर्थव्यवस्थाओं को भी बढ़ावा मिलता है और प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजग़ार में वृद्धि होती है। वे हमारे देश की खूबसूरती, संस्कृति और विविधता को दुनिया के सामने लाने में हमारी मदद करती हैं। साल 2019 की ई वाय रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 तक 1 मिलियन फिल्म टूरिस्ट भारत आ सकते हैं। कोरोनावायरस ने अस्थायी रूप से ऐसे आकलनों और छुट्टियों की प्लानिंग पर विराम लगा दिया हो लेकिन जैसे जैसे भारत में हम और कहानियों का निर्माण करते रहेंगे जिन्हें दुनिया देख सके, यह कहानियां हमारे पर्यटन स्थलों और उनकी कल्पना को बढ़ावा देती रहेंगी।
मोनिका शेरगिल
(लेखिका नेटफ्लिक्स इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट-कंटेंट हैं ये उनके निजी विचार हैं)