जीतने को सब सुन रहे हैं नीतीश

0
223

नीतीश कुमार किसी जमाने में प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का खुल कर विरोध करते थे। उन्होंने 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए भी मोदी को प्रचार के लिए बिहार नहीं आने दिया। 2014 का लोकसभा और 2015 का विधानसभा चुनाव मोदी की वजह से नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होकर लड़ा। लेकिन नवंबर 2016 में नोटबंदी रा समर्थन करने के बाद नीतीश कुमार जिस तरह से मोदी के करीब आए हैं वह हैरान करने वाला है। उनका समूचा मोदी विरोध खत्म हो गया है और अब वे मोदी के हर एजेंडे में उनके साथ हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक मंच से भाषण कर रहे हैं और उनके सामने मोदी उन तमाम मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं, जिनसे नीतीश का विरोध रहा है। ध्यान रहे नीतीश कुमार की पार्टी ने जमू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया था। संसद में आधिकारिक रूप से पार्टी ने इससे अलग लाइन ली थी। लेकिन एक नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार की मंच पर मौजूदगी में दो सभाओं मे इस मसले पर वोट मांगा और इसका विरोध करने वालों की आलोचना की।

उन्होंने अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का मुद्दा भी उठाया और उस पर वोट मांगा। ध्यान रहे नीतीश कुमार इस पर भी सवाल उठाते रहते थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनाव जीतने के लिए नीतीश सब कुछ सुन रहे है। आगे पता नहीं करेंगे? वैसे चिराग पासवान ने तो कहा है कि चुनाव के बाद नीतीश एनडीए से अलग हो जाएंगे और 2024 में नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे! वैसे फिलहाल बिहार में दूसरे चरण का मतदान पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर को बिहार में चुनाव प्रचार के लिए तीसरे दौरे पर गए थे। उससे पहले 23 और 28 अटूबर को उन्होंने तीन-तीन चुनावी सभाएं की थीं। एक नवंबर को उन्होंने चार चुनावी रैलियां कीं। प्रधानमंत्री पहली बार एक नवंबर को अपने पुराने लय में दिखे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की पहली रैली में उनका भाषण और देह-भंगिमा सब भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं को निराश करने वाली थी। उनका भाषण रूटीन का और बिल्कुल सरकारी भाषण की तरह था। उसमें चुनावी रंग-ढंग नहीं दिख रहा था।

प्रधानमंत्री खुद भी ढीले-ढाले से दिखे। हालांकि पहले से ठीक था। परंतु तीसरे दौरे में प्रधानमंत्री पूरी तरह से लय में दिखे। उन्होंने खूब सारे जुमले बोले। जंगलराज के युवराज वाले जुमले को दोहराते हुए ‘डबल डबल युवराज’ यानी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ होने का मुद्दा उठाया और इसकी तुलना उत्तर प्रदेश के पिछले चुनाव में बनी राहुल और अखिलेश की जोड़ी से की। यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के ‘दो लड़कों’ का हस्र हुआ वहीं बिहार में भी होगा। उन्होंने बिहार में बच्चों को डराने के लिए प्रचलित ‘लकड़सुंघवा’ के मिथ का इस्तेमाल किया और कहा कि लोगों को सावधान हो जाना चाहिए नहीं तो ‘लकड़सुंघवा’ आ जाएगा। तीसरे दौरे की दो सभाओं में उनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद थे। उन्होंने नीतीश की जमकर तारीफ की। उन्हें वोट देने और फिर से मुख्यमंत्री बनाने की अपील की। दूसरे चरण से ठीक पहले प्रधानमंत्री के इस तरह लय में लौटने से भाजपा और जदयू के नेता खुश हैं पर कई लोग यह भी कह रहे हैं कि अब देर हो गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here