स्वागत की तैयारी : घोड़े पर सवार होकर आज कैलाश पर्वत से धरती पर पधार रही हैं मॉं दुर्गा

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हर दिन शुभ मुहूर्त, उपासना को पूरी नौ दिन मिलेंगे,गुजरात व बंगाल में अलग ही होती रौनक

शारदीय नवरात्र मां नवदुर्गा की उपासना का पर्व है। देश-दुनिया के हर उपासक को इस पर गर्व है। वैसे तो हर साल नवरात्र श्राद्ध खत्म होते ही शुरू होता है, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण नवरात्र 25 दिन बाद यानी आज शनिवार 17 अटूबर से शुरू हो रहे हैं और 25 अटूबर तक रहेंगे। देवी भागवत के मुताबिक इस बार शनिवार को घट स्थापना होने से देवी का वाहन घोड़ा रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नवरात्रि में देवी मां कैलाश पर्वत से अपने मायके धरती पर आती हैं। नवरात्र देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है। खासतौर से गुजरात और बंगाल में नवरात्रि की अलग ही रौनक दिखती है। हर दिन का खास महत्व: नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन को महानवमी कहा जाता है और इस दिन कन्या पूजा की जाती है।

माता के नौ रूप: शनिवार को मां शैलपुत्री, रविवार को माँ ब्रह्मचारिणी, सोमवार को मां चंद्रघंटा,मंगलवार को मां कुष्मांडा, बुधवार को माँ स्कंदमाता, गुरुवार को मां कात्यायनी, शुक्रवार को मां कालरात्रि, शनिवार 24 अटूबर को मां महागौरी( इसी दिन महा अष्टमी, महा नवमी पूजा), रविवार 25 अटूबर को माँ सिद्धिदात्री की उपासना होगी। आराधना के नौ दिन: काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद नवरात्र में देवी आराधना के लिए पूरे 9 दिन मिलेंगे। इसके साथ ही प्रॉपर्टी, व्हीकल और अन्य चीजों की खरीदारी के लिए नवरात्र में हर दिन शुभ मुहूर्त रहेगा। हर दिन शुभ मुहूर्त: इस बार घट स्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। यानी सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्र की शुरुआत हो रही है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बेहद शुभ माना जाता है, जो पूजा उपासना में अभीष्ट सिद्धि देगा।

पं. गणेश मिश्र के मुताबिक साथ ही दशहरे तक खरीदारी के लिए त्रिपुष्कर, सौभाग्य और रवियोग जैसे खास मुहूर्त भी रहेंगे। इन शुभ संयोग में प्रॉपर्टी, व्हीकल, फर्नीचर, भौतिक सुख- सुविधाओं के सामान और अन्य तरह की मांगलिक कामों के लिए खरीदारी करना शुभ रहेगा। आएंगी घोड़े पर-जाएंगी भैंसे पर: देवी भागवत ग्रंथ के मुताबिक, वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन इसी ग्रंथ में बताया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहन से धरती पर आती हैं। नवरात्र का पहला दिन शनिवार होने के कारण मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी, तब पड़ोसी देशों से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और साा में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढऩे की आशंका रहती है। साथ ही नवरात्र का आखिरी दिन रविवार होने से देवी भैंसे पर सवार होकर जाएंगी। इसके अशुभ फल के मुताबिक, देश में रोग और शोक बढऩे की आशंका है।

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