कोरोना की एक टेस्ट किट बन चुकी है। यह किट मात्र 2 घंटे में परिणाम देती है कि व्यक्ति पॉजिटिव है या नेगेटिव है। इसे ड्रग कंट्रोलर ने मान्यता दे दी है। इसका नाम ‘फेलूदा’ रखा गया है। पहली बार सत्यजीत राय के काल्पनिक जासूस पात्र का नाम है, जो प्रकरण का निदान कम समय में करने वाला है। शरलॉक होम्स नामक जासूसी पात्र की रचना सर आर्थर कॉनन डॉयल ने अपने शिक्षक की प्रेरणा से की है। शिक्षक देर से आए छात्र को कक्षा में आने देता है क्योंकि छात्र के जूते पर वर्षा के निशान दिखाई देते हैं और उसे मौसम विभाग से रेडियो पर जानकारी थी कि लंदन के फलां क्षेत्र में सुबह वर्षा हुई है। हमारा मौसम विभाग जिस दिन तेज धूप की अग्रिम जानकारी देता है, उस दिन वहां भारी वर्षा होती है। हमारे मौसम विभाग ने कभी नहीं बताया कि सितंबर के तीसरे सप्ताह में भी वर्षा होगी। हमारे यहां तो बिन बादल बरसात हो जाती है और कभी स्याह बादल छाए रहने पर भी बरसात नहीं होती। हमारे यहां मौसम आशिकाना है। उसका मिजाज रूठी प्रेमिका जैसा है। कभी-कभी इत्तेफ़ाक होते हैं। मसलन जब राज कपूर उटकमंड में ‘जिस देश में गंगा बहती है’ का डाकू आत्मसमर्पण वाला दृश्य शूट कर रहे थे, चंबल के डाकू उसी समय विनोबा भावे की प्रेरणा से आत्मसमर्पण कर रहे थे। कहावत भी है कि ‘फैक्ट इज स्ट्रेंजर दैन फिक्शन’। ज्ञातव्य है कि 1898 में मार्गन रिचर्डसन द्वारा पांच सितारा होटलनुमा पानी का जहाज डूबने पर आधारित काल्पनिक उपन्यास प्रकाशित हुआ था। इसके प्रकाशन के कुछ समय पश्चात टाइटैनिक जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
आश्चर्य है कि उपन्यास में वर्णित मृतकों की संख्या वास्तविक घटना के मृतकों की संख्या के समान थी। ज्ञातव्य है कि जेम्स कैमरून की महान फिल्म ‘टाइटैनिक’ हमारे सिनेमा में प्रदर्शित गरीब नायक और अमीर नायिका की प्रेम कथा के समान भी है। सर ऑर्थर कॉनन डॉयल के काल्पनिक पात्र शरलॉक होम्स के पते दस बेकर स्ट्रीट पर रोज सैकड़ों पत्र आते थे। उसे यथार्थ व्यक्ति मान लिया गया था। उपन्यास की अंतिम कड़ी में लेखक ने अपने पात्र की मृत्यु का विवरण दिया। पाठकों ने उन पर इतना दबाव बनाया कि उन्हें शरलॉक होम्स को दुर्घटना के बाद बच जाने की घटना का विवरण देना पड़ा। वे पहाड़ी से गिरकर एक घने वृक्ष में घायल पाए गए। महान उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे के जीवन में भी ऐसा हुआ है। दरअसल हेमिंग्वे की मृत्यु के समाचार दो बार प्रकाशित हुए जिन्हें गलत करार देते हुए हेमिंग्वे उन दुर्घटनाओं में बच गए थे। स्पेन के गृह युद्ध में उन्हें गोली लगी थी। वे खंदक में घायल पाए गए। चिकित्सा के बाद वे पूर्ण स्वस्थ हुए। उन्हें नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। कुछ वर्ष पश्चात हेमिंग्वे ने आत्महत्या कर ली। मीडिया दुविधा में था की खबर जारी करें या ना करें। हेमिंग्वे ने आत्महत्या के पूर्व लिखा ‘मैं शिकार नहीं कर सकता। यकृत खराब होने से शराब नहीं पी सकता, हाथ कांपते हैं, इसलिए लिख नहीं सकता। शिकार शराब और लिखना ही मेरे जीवन का अर्थ था। अत: अब मैं आत्महत्या कर रहा हूं’। आत्महत्या करना कायरता है परंतु कभी-कभी लाइलाज रोग से पीड़ित व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है। उसके असाध्य रोग पर किया गया खर्च उसके परिवार को आर्थिक संकट में डालता है।
यूथेनेशिया अर्थात इच्छा मृत्यु कुछ देशों में कानूनी अपराध नहीं है। भारत में इसे कानूनी बनाने से आशंका है कि लोग इसका दुरुपयोग कर सकते हैं। वैज्ञानिक एक कल्पना करता है। प्रयोगशाला में बार-बार आजमा कर उसे सही पाने पर वह सिद्धांत बन जाता है। इस तरह अनुसंधान एक कल्पना से प्रारंभ होता है। कल्पना और यथार्थ के बीच पतली लकीर है। कुछ बुद्धिमानों को पहले पागल माना गया। जिस शोधकर्ता ने दुनिया को गोलाकार बताया उसे भी बहुत सताया गया। अवाम की विचार प्रक्रिया में मायथोलॉजी गहरी पैठी हुई है, इसलिए मिथमेकर राजा बन जाता है। धर्मप्रधान गणतांत्रिक तानाशाही अमेरिका के चुनाव में कमला हैरिस उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं। उनका जन्म अमेरिका में हुआ था परंतु सोशल मीडिया पर यह झूठ प्रचारित किया जा रहा है कि कमला हैरिस का जन्म भारत में हुआ है। भारत-पाक विभाजन के पश्चात पाकिस्तान में सत्तासीन हुए कुछ लोगों का जन्म अविभाजित भारत में हुआ। भारत में भी कुछ लोग ऐसे ही हैं जिनका जन्म लाहौर में हुआ था। हैरानी की बात यह है कि कमला हैरिस के साथ ही बराक ओबामा को जोड़ा जा रहा है कि उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। सोशल मीडिया पर फुर्सती लोग अफवाह उड़ाने के काम में मजा ले रहे हैं। कांग्रेस की स्थापना करने वाली एनीबेसेंट का जन्म इंग्लैंड में हुआ था। फिल्म ‘परदेस’ में भारत में जन्मा व्यति अमेरिका में बसकर धनाढ्य हो जाता है। वह अपने इकलौते बिगड़ैल पुत्र का विवाह किसी भारतीय कन्या से करवाना चाहता है ताकि वंश में भारतीय संस्कार बने रहे।
साथ ही धनाढ्य व्यक्ति को समझ आता है कि संस्कार का आयात नहीं किया जा सकता। कमला हैरिस के जन्म स्थान के झूठे प्रचार ने भारत को नया शब्द दिया है ‘बर्थ रेसिस’। अवाम को अब किसी बात से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि पूरे कुएं में ही भांग पड़ गई है। देश की जीडीपी शून्य से नीचे गिर गई है परंतु मीडिया में हशिश सेवन के आरोप छाए हुए हैं। पवित्र सदन में प्रश्नकाल को शून्य बना दिया गया है। आर्थिक संकट के समय नई लोकसभा इमारत बनाने की पहल की जा रही है जबकि मौजूदा इमारत के आसपास कई एकड़ जमीन है। इमारतों के नाम बदलने को विकास माना जा रहा है। इरविंग वालेस के उपन्यास ‘द मैन’ का कथासार कुछ यूं है कि अमेरिका के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट की हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है। उनके संविधान के अनुसार सबसे सीनियर सीनेटर को प्रेसिडेंट पद पर बैठाया जाता है। वह एक अश्वेत अमेरिकन है। अध्यक्ष पद ग्रहण करते ही दक्षिण अफ्रीका को लेकर एक समस्या आ खड़ी होती है। प्रेसिडेंट अमेरिका के पक्ष में निर्णय लेता है और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को सबक सिखाता है। प्रेसिडेंट को अपने पुत्र के खिलाफ कानूनी कदम उठाने होते हैं। इस तरह उसे कई कठोर कदम उठाने पड़ते हैं।
उस अश्वेत प्रेसिडेंट के स्टाफ में गोरी लड़की काम करती है। इस कन्या का पिता प्रेसिडेंट का सबसे बड़ा विरोधी है। परंतु प्रेसिडेंट की सोच में कोई संकीर्णता नहीं है। कुछ समय पश्चात वह गोरी कन्या आरोप लगाती है कि प्रेसिडेंट ने उससे अभद्रता की है। इस बात को लेकर प्रेसिडेंट के खिलाफ सीनेट में अविश्वास का प्रस्ताव लाया जाता है। इम्पीचमेंट का मुकदमा सीनेट में चलता है। वहां गुप्त मतदान नहीं किया जाता, वरन हर सदस्य अपना मत देते हुए अपने विचार भी प्रकट करता है। अविश्वास प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो तिहाई मत प्राप्त करना होता है। निर्णायक मत देने के लिए तथाकथित अभद्रता सहने वाली लड़की का पिता खड़ा होता है। वह अपना मत प्रेसिडेंट के पक्ष में देता है और सदन में अपनी पुत्री की मेडिकल जांच की फाइल भी प्रस्तुत करता है कि वह ऐसी घटना की कल्पना कर लेती है जो घटित ही नहीं हुई। सच्चे लोकतंत्र में इस तरह काम करते हैं। वर्तमान में हमारे गणतंत्र को परिभाषित नहीं किया जा सकता। या हम इसे धर्मप्रधान गणतांत्रिक तानाशाही कह सकते हैं? अब किसी विरोध का कोई अर्थ नहीं रह गया है।
जयप्रकाश चौखसे
(लेखक वरिष्ठ फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)