गीता सार

0
446

एक पल में हम अपार दौलत के मालिक बन जाते हैं तो अगले ही पल हम बिल्कुल कंगाल हो जाते हैं। तेरा-मेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया अपने मन से दूर करने में ही हमारी भलाई है। ये शरीर तक हमारा नहीं है। और न ही हम इस शरीर के हैं। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here