मनोरंजन का स्वर्णिम युग

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यह मनोरंजन का स्वर्णिम युग है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों और समृद्ध संस्कृति से जुड़ी कहानियों को 2 घंटे की फिल्म, 8 घंटे की सीरीज़ या डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है। ओवर द टॉप मीडिया (ओटीटी) सर्विसेस के माध्यम से लेखकों और फिल्म निर्माताओं को अधिक अवसर मिलने से मनोरंजन में भी विविधता आई है।

नए पात्रों, अनकही कथाओं, रोजमर्रा की कहानियों और नए विचारों को फिल्मों और सीरीज के माध्यम से दर्शकों के सामने लाया जा रहा है। स्ट्रीमिंग सर्विसेस शहरों से लेकर सुदूर गांवों में रह रहे लोगों को फिल्मों या सीरीज के माध्यम से अपनी मनपसंद कहानियां चुनने की आज़ादी दे रही हैं। इनमें से कई कहानियों के पात्र भी हम-आप जैसे ही हैं, जिसके कारण हम उनसे अपने आपको जोड़ पा रहे हैं।

स्ट्रीमिंग सर्विसेस के आ जाने से आज रचनाकार ऐसे किरदारों वाली कहानियां गढ़ रहे हैं, जो मुख्यधारा से जुड़ी हुई हैं और ऐसी कहानियां जिनका पहले बन पाना शायद संभव नहीं हो पाया था। पर अब कोई भी कहानी इंटरनेट के माध्यम से दुनियाभर में सही दर्शकों को आसानी से ढूंढ सकती है। इस नवाचार की वजह से हमारे आसपास से नए-नए किरदार, लेखक, निर्माता और निर्देशक उभरकर आ रहे हैं। स्ट्रीमिंग सर्विसेस उन्हें अनुकूल माहौल प्रदान करते हुए कलात्मक अभिव्यक्ति और रचनात्मक श्रेष्ठता के अवसर दे रही हैं।

इंटरनेट स्ट्रीमिंग सर्विसेज के प्रयोगात्मक और स्वतंत्र माहौल की वजह से कम चर्चित किरदारों वाली कहानियों को दर्शकों तक पहुंचाने में सफलता मिली है। इसके कारण नए लेखकों द्वारा लिखित, नई प्रतिभाओं द्वारा निभाई गई, नए निर्माताओं और निर्देशकों द्वारा बनाई गई अनकही कहानियों को पर्दे पर ला पाना संभव हो पा रहा है। जैसे कि दीपिका कुमारी की दुनिया में नंबर 1 महिला तीरंदाज बनने की कहानी को नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री, लेडीज फर्स्ट के जरिए दुनियाभर के दर्शकों तक लाया जा सकता है। इसके साथ ही दर्शक लीक से हटकर बनी ‘ये बैले’ और एक्शन से भरपूर थ्रिलर ‘बार्ड ऑफ ब्लड’ जैसी फिल्मों या सीरीज का लुत्फ उठा पा रहे हैं।

स्ट्रीमिंग सर्विसेस की वजह से महिलाओं के प्रमुख पात्रों के साथ-साथ महिलाओं द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित फिल्में और सीरीज सामने आ रही हैं। उदाहरण के लिए केवल नेटफ्लिक्स पर ही फिल्मों और सीरीज में लगभग 70% महिलाएं मुख्य किरदारों की भूमिका में हैं। आजकल दर्शक किसी एक बंधे हुए दायरे की फिल्में या सीरीज के बजाय लगातार अपनी पसंद की सीरीज या फिल्में चुन रहे हैं।

दर्शक अब भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में बनाई गई फिल्मों और सीरीज का लगातार आनंद ले रहे हैं और उन्हें जापान से लेकर अफ्रीका तक की संस्कृतियों के साथ-साथ दुनिया के विभिन्न हिस्सों को देखने का मौका मिल रहा है। भाषायी विविधता के साथ-साथ छोटे शहरों और नगरों की कहानियों की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों से दर्शकों को जोड़ने में स्ट्रीमिंग सर्विसेस कामयाब हुई हैं।

मनोरंजन का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। उसमें हमारे समाज और परिवेश की कहानियों और किरदारों का शामिल होना बहुत जरूरी है। क्योंकि हम दुनिया का मनोरंजन उनकी कहानियों को प्रतिबिम्बित किए बिना नहीं कर सकते। वर्तमान में भारत का मनोरंजन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ गति से बढ़ रही इंडस्ट्रीज़ में से एक है। आने वाले पांच वर्षों में भारत के इंटरटेनमेंट स्ट्रीमिंग सर्विसेज इंडस्ट्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी।

फिक्की की 2019 की रिर्पोट के मुताबिक माना जा रहा है कि वर्ष 2023 तक भारत में इंटरटेनमेंट स्ट्रीमिंग सर्विसेज मार्केट दुनिया का आठवां सबसे बड़ा मार्केट बन जाएगा। इस अभूतपूर्व वृद्धि के अनुमान को सफल बनाने के लिए नई कहानियों और किरदारों को दर्शकों के सामने लाने का लगातार प्रयास करना होगा। स्ट्रीमिंग सर्विसेज की वजह से आज हम विभिन्न रोचक, अनकही और कलात्मकता से भरपूर कहानियों का आनंद ले पा रहे हैं और यही कहानियां दुनियाभर के दर्शकों के दिल को छू रही हैं।

मोनिका शेरगिल
(लेखिका वाइस प्रेसिडेंट-कंटेंट, नेटफ्लिक्स इंडिया हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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