दिल्ली में यूनेस्को की डीजी ने बैठक के दौरान भारत की नई शिक्षा नीति के विषय में उत्सुकतावश पूछा था कि इसमें या नया है, तो मैंने उन्हें बताया कि इस नीति की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है कि हमने इसके निर्माण में मुत नवाचार के अंतर्गत विश्व के सबसे बड़े परामर्श के माध्यम से रेकॉर्ड सुझाव लिए। हमने सुनिश्चित किया कि देश के सभी क्षेत्रों से हितधारकों के सुझाव लिए जाएं। हमें पता था कि इस नीति से हमें नवभारत निर्माण की आधारशिला रखनी है। इस संवाद से जहां क्षमता सुधार में सफलता मिली वहीं सबका परामर्श हमारे लिए एक उपयोगी चेक-शीट बना। वैसे भी जनतंत्र में हितधारकों से सार्थक संवाद स्थापित करना जिम्मेदारी से सरकार चलाने के लिए जरूरी है। यह एक संयोग ही था कि 31 मई 2019 को जिस दिन मैंने मंत्रालय में अपना कार्यभार संभाला उसी दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट मुझे सौंपी। नीति पर व्यापक विमर्श करने के लिए मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई। विभिन्न मंचों के माध्यम से मैंने सभी हितधारकों से नीति के मूलभूत स्तंभों- पहुंच, सामथ्र्य, इविटी, गुणवत्ता और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए विनम्र निवेदन किया। मेरा प्रारंभ से ही प्रयास रहा कि शिक्षा से जुड़े सभी लोगों से न केवल संवाद स्थापित हो बल्कि उसकी निरंतरता बनी रहे ताकि उनके सुझाव हमें मिल सकें। विमर्श का दायरा बढ़ाने के लिए शैक्षिक जगत से जुड़े संस्थानों से आग्रह किया कि वे नई शिक्षा नीति पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित कर रिपोर्ट से अवगत कराएं।
देश में विभिन्न स्थानों पर कुलपतियों के सम्मेलनों/कार्यशालाओं का विशेष आयोजन किया गया। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि नई शिक्षा नीति निर्माण में हमने विश्व का वृहदतम परामर्श किया। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों और भारत सरकार के मंत्रालयों को ड्राक्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 पर अपने विचार और टिप्पणियां देने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 26 शिक्षामंत्री, उनके प्रतिनिधि, सीएबीई सदस्य, स्वायत्त संगठनों के प्रमुख, विश्वविद्यालयों के कुलपति, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हुए। विभिन्न हितधारकों से मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर दो लाख से अधिक सुझाव आए जिन पर विभिन्न कार्यदलों द्वारा मंथन किया गया।मानव संसाधन विकास पर संसदीय स्थाई समिति के ड्राक्ट एनईपी-2019 पर एक बैठक 7 नवंबर 2019 को आयोजित की गई थी। देश के समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से भी सुझाव मिले। मेरा प्रारंभ से ही विश्वास रहा है कि सबके सुझावों पर आधारित गुणवत्तापरक, नवचारयुक्त, प्रौद्योगिकी एवं संस्कारयुक्त नई शिक्षा नीति-2020 एक ऐसा माध्यम बनेगी जिससे भारत अपने खोये हुए वैभव को पुन: प्राप्त करने में सक्षम होगा। नई शिक्षा नीति से हम विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों और शिक्षकों की सोच में व्यापक बदलाव लाना चाहते हैं। विज्ञान, गणित और कला लबों की स्थापना अधिक जिज्ञासा पैदा करने और एक व्यति को आजीवन सीखने वाले में बदलने का तरीका है।
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन रिसर्च आउटपुट को एक नए स्तर पर ले जाएगा। संस्थानों के शासन में पूर्व छात्रों की भूमिका शिक्षा प्रणाली को समग्र रूप से प्रभावित करेगी। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि पाठ्यक्रम में समकालीन विषय जैसे-आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गनिक लिविंग, एनवायरनमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन आदि शामिल करने के सुझाव हमें देश के कोने-कोने से मिले। विभिन्न विद्यालयों से, शैक्षिक संगठनों से हमें यह सुझाव प्रत्यक्ष क्या परोक्ष रूप से मिला कि स्कूल परीक्षाओं के परिणामों का उपयोग केवल विकासात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाए, साथ में निरंतर निगरानी और सुधार के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाए। चाहे 10+2 संरचना का प्रतिस्थापन 5+3+3+4 का विषय हो, नए स्कूल शिक्षा सुधार के साथ रोट लर्निंग दूर करने का विषय हो, गतिविधि-आधारित, प्रायोगिक शिक्षा, कंप्यूटेशनल सोच सीखने की बात हो या पारंपरिक भारतीय मूल्यों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की बात हो, इन सभी विषयों के बारे में विभिन्न स्रोतों से अनेकानेक सुझाव प्राप्त हुए। पारंपरिक प्रथाओं के भरपूर ज्ञान के माध्यम से अपना सर्वांगीण विकास सुनिश्चित कर सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नवभारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ी छलांग है। हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इसकी व्याया और कार्यान्वयन इसकी मूल भावना के अनुरूप सुनिश्चित किया जाए। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने आत्मनिर्भर भारत के लिए इस शिक्षा नीति के रूप में एक आधारशिला रखी है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस नीति के सफल क्रियान्वयन में सभी हितधारकों का वही सहयोग मिलेगा जो नीति निर्माण के समय मिला था।
रमेश पोखरियाल निशंक
(लेखक केंद्रीय शिक्षामंत्री हैं ये उनके निजी विचार हैं)