युवाओं को रखना होगा ख्याल

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कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एक नया तथ्य समाने आया है जो कि बेहद चौकाने वाला है। उप्र में कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक युवा प्रभावित हो रहे हैं। कुल संक्रमित मरीजों में आधे से अधिक युवा हैं। 20 साल से कम उम्र के मरीजों की संख्या 14.61 प्रतिशत है। 21 से 40 वर्ष के संक्रमितों की संख्या 49.38 प्रतिशत है। 41 से 60 वर्ष के मरीजों की संख्या 27.83 प्रतिशत है। जबकि 60 साल से अधिक उम्र के संक्रमितों की संख्या महज 8 प्रतिशत है। उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि कार्यस्थल व आवागमन के सार्वजनिक साधनों के जरिए अधिक संक्रमण फैलने की संभावना है। क्योंकि 21 से 60 वर्ष तक के लोग कार्यशील रहते हैं जिसके चलते उन्हें चलायमान रहना पड़ता है। उन्हें कार्य के दौरान काफी संख्या में लोगों से मिलना-जुलना होता है। यही कहीं से मिला संक्रमण कार्यशील लोगों को संक्रमित कर रहा है उससे साफ है कि किसी न किसी स्तर से लापरवाही बरती जा रही है। सरकारी कार्यालयों में काफी संया में संक्रमित मिल रहे हैं। इससे लगता है कि संक्रमण के बचाव के पर्याप्त उपाय की व्यवस्था नहीं है या है तो किसी स्तर पर बचाव के उपाय की अनदेखी की जा रही है।

या जाने अनजाने में कही न कहीं लोगों से चूक हो रही है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में लापरवाही बरती जा रही है। ई-रिशा व आटो में जमकर ओवर लोडिंग की जा रही है। लोग बिना मास्क लगाये यात्रा कर रहे हैं। आटो-रिशा व ई-रिशा चालक अपने वाहनों को सेनेटाइज करने में कोताही बरत रहे हैं। सेनेटाइज का पूरी तरह से निरीक्षण नहीं किया जा रहा है जिसका फायदा अधिकतर चालक उठा रहे हैं। पान मसाला या पान खाकर खुलेआम सड़कों पर थूक रहे हैं। ऐसा नजारा भीड़-भाड़ वाले बाजारों में भी देखा जा सकता है। एक और भी आश्चर्यजनक स्थिति है कि कुल संक्रमितों में 29 प्रतिशत महिलायें हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अधिकतर महिलाओं को संक्रमण कामकाजी लोगों से मिला। लॉकडाउन के अनलॉक होते ही लोगों की लापरवाही व बचाव के उपायों की अवहेलना महंगी पड़ रही है। यदि कार्यशील व्यक्ति संक्रमित होते रहे तो कई कठिनाइयां सामने आ सकती हैं। प्रथम तो कार्यशील लोगों में और संक्रमण बढ़ा तो कार्यकारी लोगों की कमी होने लगेगी। जरूरी क्षेत्रों में मैनपावर का अभाव हो सकता है। जिससे लोगों को असुविधा उठानी पड़ सकती है।

दूसरे कार्यशील व्यक्तियों का मूवमेन्ट अधिक होता है। अत: संक्रमण फैलने का डर संक्रमितों से अनजाने में अधिक रहता है। अत: कार्यशील युवाओं को अपना ध्यान काफी सावधानी पूर्वक रखना होगा। कोरोना से संक्रमण के जो भी उपाय बताये गये हैं उनका पालन पूरी सावधानी के साथ करना चाहिये। सरकार को भी चाहिये कि कार्यकारी स्थल पर संक्रमण के बचाव के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये। साथ में निरीक्षण की व्यवस्था पुता करे। जिस स्तर में लापरवाही हो उसको चिन्हित करके दण्डित किया जाना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना के मामले सितम्बर माह तक शीर्ष पर होंगे। इस रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अनलॉक में मिली छूट से लोगों ने संक्रमण बचाव के उपाय की अनदेखी की है। इससे कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ा है। इस रिपोर्ट ने ये भी संकेत किया है कि यदि सोशल डिस्टेंसिंग की अनेदेखी की गई तो कोरोना संक्रमण का ग्राफ और भी आगे बढ़ेगा। यदि संक्रमण से बचाव के उपायों पर ध्यान दिया गया तो नवम्बर माह से संक्रमण में काफी कमी आनी शुरू हो जायेगी। अत: रिपोर्टों की चेतावनी को युवा वर्ग को गम्भीरता से लेना होगा। कार्य की व्यस्तता के चलते संक्रमण से बचाव को लेकर लापरवाही कतई नहीं होनी चाहिये। स्वयं को संक्रमण से बचाना व दूसरे को संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक करना हमारा ध्येय होना चाहिए।

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