वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी

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श्री गणेश
भगवान श्री गणेश

वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से होगी जीवन में खुशहाली
श्रीगणेशजी के दर्शन-पूजन से होती है मनोकामना की पूर्ति

सनातन धर्म में 33 कोटी देवी-देवताओं में भगवान श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्यदेव माना जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण वभूषित बुद्धिप्रदायक सुखदाता मंगलपूर्ति भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अनन्त है। श्रीगणेशजी की श्रद्धा, आस्था, विश्वास के साथ की गई पूजा-अर्चना से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बनता है। श्रीगणेश चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष लाभकारी होती है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 8 फरवरी, शुक्रवार को प्रातः 10 बजकर 18 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 9 फरवरी, शनिवार को दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि 8 फरवरी, शुक्रवार को मिल रही है, जिसके फलस्वरूप वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इसी दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रीगणेश भक्त व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक व्रत-उपवास रखकर श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करके लाभान्वित होंगे।

श्री गणेश
भगवान श्री गणेश

पूजा का विधान – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातःकाल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्ति होने के उपरान्त अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीगणेश का श्रृंगार करके उन्हें दूर्वा एवं दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू) अन्य मिष्ठान्न ऋतुफल आदि अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप, नैवेद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।।

किस पाठ से होगी मनोकामना की पूर्ति – श्रीगणेश जी की महिमा में उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष सहस्त्रनाम, श्रीगणेश चालीसा एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित अन्य स्तोत्र आदि का पाछ अवश्य करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश से सम्बन्धित मन्त्र का जप करना लाभकारी रहता है। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थियों के लिए समानरूप से फलदायी है। जिन्हें केतुग्रह की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो अर्थात् जिन्हें अपने कार्य-व्यवसाय, घर परिवार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीणगेशजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सौभाग्य की अभिवृद्धि होती है, साथ ही जीवन में मंगल कल्याण होता रहता है।।

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