कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश के सामने और भी परिस्थितिजन्य समस्याएं मुंह उठाये हैं। कोरोना संक्रमण के प्रारभिक दौर में काफी लापरवाही बरती गयी जिसके चलते कोरोना संक्रमण ने विकराल रूप धारण कर लिया। अत: अन्य समस्याओं को लेकर हमें पर्याप्त सावधानी बरतनी होगी जिससे अन्य बीमारियां सिर न उठा सकें। इस समय पूरा तंत्र कोरोना संक्रमण में लगा है। अत: ऐसा न हो कि अन्य संक्रामक बीमारियों की तरफ ध्यान न जाये और स्थिति गंभीर होकर नियंत्रण से बाहर हो जाये। देश के सात राज्यों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है जिसमें यूपी भी है। बाढ़ की समस्या को लेकर कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी समस्या प्रधानमंत्री के समक्ष रखी है। बाढ़ केवल पानी से ही नुकसान नहीं पहुंचाता है वरन अपने साथ दर्जनों संक्रामक बीमारी लेकर आता है। दुनिया में जितने लोग बाढ़ के प्रभाव से कालकवलित होते हैं उनमें से 20 प्रतिशत भारतीय होते हैं। अनुमान है कि आजादी से लेकर अब तक बाढ़ से लगभग एक लाख लोगों की मौत हुई है। इसके अतिरिक्त साढ़े तीन लाख करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। बाढ़ से जलमग्न होने के कारण कई संक्रामक बीमारियां फैलती हैं।
इनमें हैजा, पीलिया, वायरल फीवर, टायफायड, डायरिया, निमोनिया व डेंगू जैसी संक्रामक विषाणुजनित बीमारियां शामिल हैं। पिछले वर्ष भारत में डेंगू के 136422 मामले सामने आये हैं। डेंगू से काफी संया में मौतें भी हुई थीं। मच्छरों के जरिये फैलने वाली इस बीमारी का प्रकोप बरसात में अधिक होता है। पहले यह बीमारी शहरों में अधिक फैलती थी। अब इसने ग्रामीण क्षेत्रों में भी दस्तक दे दिया है। मुयत: यह बीमारी बरसात की शुरुआत से लेकर नवबर माह तक प्रभावी रहती है। यदि शुरू में ध्यान न दिया गया तो डेंगू काफी तेजी से फैलता है और जाड़ा आने तक जारी रहता है। एक बार फैलने पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है। परंतु इस बीमारी का वायरस ठंडक में निष्क्रिय हो जाता है। अत: जाड़ा शुरू होते ही प्रकोप थम सा जाता है। डेंगू का कहर एक बार शुरू हो जाय तो लगभग पांच महीने तक लोगों को संक्रमित करता रहता है। यदि बरसात के प्रारभ में ही दवाओं का छिड़काव व पानी न रुकने दिया जाय तो यह बीमारी नहीं फैलती। सरकार को डेंगू नियंत्रण के लिए भी अभियान चलाना चाहिए क्योंकि कोरोना संक्रमितों के लिए चिकित्सालयों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं।
ऐसे में अगर डेंगू का प्रकोप शुरू हुआ तो मरीजों को उचित चिकित्सा मिलने में मुश्किल आएगी। अभी कोरोना संक्रमण को लेकर ही चिकित्सकीय संसाधन कम पड़ रहे हैं तो डेंगू का फैलाव होने पर संसाधन की व्यवस्था कर पाना मुश्किल होगा। यदि कोरोना मरीजों में संक्रमण फैला तो जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। इसके अतिरिक्त बाढ़ में देश की बहुत बड़ी आबादी विस्थापित होती है। आसाम में 70 लाख लोग बाढ़ प्रभावित हैं तथा डेढ़ लाख लोग राहत शिविरों में है। राहत शिविरों में कोरोना बचाव के उपाय अपनाना थोड़ा मुश्किल होता है। राहत शिविरों में जहां लोग बड़ी संख्या में सामूहिक रहते हैं वहां कोरोना के संक्रमण फैलने की काफी आशंका होती है। बाढ़ अपने साथ अन्य मौसमी बीमारी लेकर आती है जिसमें कई संक्रामक बीमारी होती है। इनके नियंत्रण पर भी पूरा ध्यान प पूर्वानुमान लगाकर सरकार को संसाधन की व्यवस्था करनी चाहिए। बरसात में ही एक अन्य विषाणुजनित बीमारी मस्तिष्क ज्वर फैलता है, इससे बच्चे काफी प्रभावित होते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश व तराई के इलाके तथा बिहार में इसका अधिक प्रभाव रहता है। सरकार को इसके तरफ भी पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। कोरोना संक्रमण के विषम स्थिति में कोई अन्य बीमारी न फैलेए इसका पुता इंतजाम सरकार को करना चाहिए।