पड़ोसियों से सचेत रहने की जरूरत

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वर्तमान समय में भारत को तीन तरफा सामरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये चुनौतियां चीन, पाकिस्तान और नेपाल की तरफ से है। जबकि भारत व बांग्लादेश के मध्य संबंधों की बात करें तो वहां भी बहुत कुछ सामान्य नहीं है। परन्तु चीन, पाकिस्तान व नेपाल की तरफ से जो समस्या नियंत्रण रेखा पर उत्पन्न हुई है वह देश के समक्ष एक चुनौती है। हालांकि भारत इस तीन तरफा चुनौती से निपटने में पूरी तरफ सक्षम है। तीनों देशों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों की प्रकृति अलग-अलग है। यदि चीन की प्रकृति पर ध्यान दें तो हम देखते हैं कि चीन की नियति विश्वासघात वाली रही है। 1962 के युद्ध के समय चीन एक तरफ तो मित्रता का स्वांग रच रहा था तो दूसरी ओर युद्ध की तैयारी कर रहा था। हिन्दी चीनी भाई-भाई का नारा देने वाले चीन ने 1962 में हमारे ऊपर युद्ध थोप दिया। भारतीय सेना से मिले जवाब से 1967 तक चीन की दुष्टता करने की हिमत नहीं पड़ी। 1967 में चीन ने फिर सीमा पर दुष्टता करने का प्रयास किया था परन्तु इसका उसे परिणाम भुगतना पड़ा था और चीन को भारी जनहानि उठानी पड़ी थी। 1975 में भी आकस्मिक घटना हुई थी जिसमें चीनी सैनिकों ने कोहरे में घात लगाकर भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।

चीन की प्रकृति देखकर लगता है कि उसकी रणनीति पूरी तरह से विश्वासघात वाली रही है। एक तरफ मित्रता व बातचीत से मामले के हल का स्वांग रचता है तो दूसरी तरफ अपनी विश्वासघाती कार्रवाई करने से भी नहीं चूकता है। 1962 में भी चीन ने यही किया था और इस बार भी उसने यही किया है। इस बार भी बातचीत के जरिए समस्या सुलझाने की बात कहकर चीन भारत से बातचीत करता रहा और यह भी जताता रहा कि बातचीत सकारात्मक रही है। उसके बावजूद चीनी सेना ने कायराना हरकत की, जिसकी जितनी निन्दा की जाय वह कम है। शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू ने ही चीन के स्थानीय कमांडर से बातचीत की थी। शाम को जब वे स्थिति का जायजा लेने गये तो उन पर हमला कर दिया गया। इधर चीन ने कायराना हरकत की उधर बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए चीन ने भारत पर मिथ्या आरोप जड़ दिया कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को भड़काते हुए हमला किया। जबकि वास्तविकता यह है कि दोनों देशों के लोकल कमांडर के आपसी बातचीत के बाद भारतीय सैनिक निरीक्षण के लिए पी.पी.14 पर पहुंचे थे जहां से चीनी सैनिकों को पीछे हटना था। जिसकी बातचीत में सहमति हुई थी। अचानक वहां बहुत से चीनी सैनिक आ गये और भारतीय जवानों पर लोहे की राड और पत्थरों से हमला कर दिया।

चीनी सैनिक विश्वासघात के लिए पूरी तैयारी के साथ आये थे। भारत की चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी है और भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन की तरफ से किसी भी आक्रामक रवैये को सहन नहीं करेगा। इस तनाव का परिणाम चाहे जो हो एक बात स्पष्ट है कि भारत व चीन के रिश्तों के मध्य एक दीर्घकालीन प्रभाव उत्पन्न होगा। जैसे की कारगिल युद्ध के बाद भारत व चीन के बीच संबंधों पर प्रभाव पड़ा। कई कोशिशों के बाद भी दोनों देशों के मध्य स्थिति सामान्य नहीं हो पायी। पाकिस्तान की प्रकृति पर ध्यान दें तो स्पष्ट पाते हैं कि उसका रवैया 1947 से लेकर अब तक शत्रुतापूर्ण रहा है। उसने प्रत्यक्ष व छद्म युद्ध दोनों में अपने हाथ आजमा लिये हैं परन्तु हर बार मुंह की खानी पड़ी। कारगिल युद्ध में भी उसने दुनिया को गुमराह करने का प्रयास किया। आज भी आतंकवादियों से सहारे पाकिस्तान भारत से छद्म युद्ध लड़ता रहता है। उसका भारत को अस्थिर करने का हर प्रयास असफल हो जाता है। इसके बावजूद वह फिर नये तरीके से अपना प्रयास शुरू कर देता है किन्तु विचित्र बात यह है कि पाकिस्तान भी भारत से मित्रता का दंभ भरता है और कारगुजारी शत्रुओं वाली होती है।

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