मोदी ने सोच को जमीन पर उतारा

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सुशासन की अवधारणा केवल सुविचारित और नियोजित नीतियों के निर्माण तक सीमित नहीं है। प्रभावी कार्यान्वयन इसका अभिन्न हिस्सा है। इतिहास प्रमाण है कि ज्यादातर अच्छी नीतियां कार्यान्वयन के मोर्चे पर विफल रही हैं। मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियां और योजनाएं इस मामले में अपवाद हैं। मोदी 2.0 का प्रदर्शन महज एक वर्ष में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर चुका है। यह सरकार अपने सभी प्रमुख वादों को लागू करने में सफल रही है। इसके प्रमुख उदाहरण हैं अनुच्छेद 370 को खत्म करना और सीएए को सफलतापूर्वक लागू करना। इस बीच कोविद-19 से लड़ते हुए सरकार ने जीवन के साथ-साथ आजीविका की रक्षा के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की जो उल्लेखनीय संवेदनशीलता दिखाई, वह भी काबिलेतारीफ है।

जो लोग संदेह करते थे कि मोदी सरकार में बड़ी योजनाओं को लागू करने की क्षमता भी है या नहीं, उन सबके लिए सरकार का पिछले छह वर्षों का प्रदर्शन एक करारा जवाब है। प्रधानमंत्री मोदी अच्छी तरह जानते हैं कि सुशासन लाने के लिए योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में महारत हासिल करना बेहद जरूरी है। 2019 में पीएम मोदी को बड़े पैमाने पर मिला जनादेश सरकारी योजनाओं के प्रभावी एवं सफल कार्यान्वयन की वजह से ही संभव हुआ। आज जब मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा किया है तो उन कारकों का विश्लेषण करना उचित होगा, जिनकी बदौलत उसने अभूतपूर्व सफलता अर्जित की और इच्छित परिणाम हासिल किए।

जिन योजनाओं को मोदी सरकार ने सफल रूप से कार्यान्वित किया, तकरीबन वे सभी योजनाएं पिछली सरकारों के दौरान वर्षों से संचालित हो रही थीं, परंतु वे सफल नहीं मानी गईं। पिछली सरकारों ने उन योजनाओं पर अरबों-खरबों रुपये खर्च किए, परंतु जनता को उसका कोई लाभ नहीं मिला। हालात इतने खराब थे कि जनता पक्के घर, शौचालय और खाना पकाने के लिए ईंधन, सस्ती दवा और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रही थी। देखा जाए तो 2014 के बाद से कई कल्याणकारी योजनाओं का सफल कार्यान्वयन हुआ और लाभार्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। उदाहरण के तौर पर यूपीए और एनडीए के कार्यकाल का तुलनात्मक आकलन बताता है कि जहां यूपीए के काल (2010-2014) में इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत 22.41 लाख घर प्रति वर्ष आवंटित हुए थे, वहीं एनडीए के काल (2015-2019) में पीएमएवाई-जी के अंतर्गत 25.25 लाख घर प्रति वर्ष आवंटित हुए।

ठीक इसी तरह जहां यूपीए के काल (2009-2014) में प्रतिवर्ष 32.6 लाख घरों तक बिजली पहुंची, वहीं एनडीए के काल (2014-2019) में प्रतिवर्ष 61.4 लाख घरों तक बिजली पहुंची। मोदी सरकार ने न केवल इन्हीं दो योजनाओं/ क्षेत्रों में प्रगति की, बल्कि अन्य कई योजनाओं में भी अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उदाहरण के लिए निर्मल भारत अभियान (शौचालय), स्वावलंबन योजना (पेंशन खाते), आरबीआई अधिसूचना के अंतर्गत नो-फ्रिल्स अकाउंट्स (जन धन खाते), एलपीजी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर-एलपीजी) इत्यादि।

प्रश्न उठता है कि आखिर मोदी सरकार ने कैसे इन विभिन्न लाभकारी योजनाओं को सफल रूप में कार्यान्वित किया और पिछली सरकारें ऐसा क्यों नहीं कर पाईं? मुद्दा मोदी सरकार के उन मूल-मंत्रों का है जिन्हें निष्ठापूर्वक अपनाया गया। योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के वे प्रमुख मूल-मंत्र रिजल्ट ओरिएंटेड ऐप्रोच यानी परिणामोन्मुख दृष्टिकोण पर आधारित हैं। संक्षेप में इनको हम इस रूप में समझ सकते हैं। पहला मंत्र है एकीकृत व्यापक दृष्टि। किसी भी योजना को संचालित करते हुए एक समग्र दृष्टि के तहत चला जाए तो चमत्कारिक नतीजे सामने आ सकते हैं। उदाहरण के लिए RBI द्वारा बनाए गए ‘नो फ्रिल्स एकाउंट्स’ को ‘जन धन योजना’ में परिवर्तित करना। इन अकाउंट्स के माध्यम से विभिन्न योजनाओं की प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक दीर्घकालिक कार्य-योजना बनाई गई।

दूसरा मंत्र राजनीतिक नेतृत्व की गहन रुचि और अंतर्दृष्टि को मान सकते हैं। इससे योजनाओं को लागू करना अधिकारियों के लिए जरूरी हो जाता है। लाभार्थियों और अधिकारियों के साथ शीर्ष स्तर के नेतृत्व की लगातार बातचीत बहुत जरूरी है। नेतृत्व की प्रभावी भागीदारी का मूर्त रूप मोदी सरकार में देखने को मिलता है। तीसरी चीज है योजनाओं के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना। साथ ही लाभार्थियों और स्थानीय अधिकारियों के मध्य समन्वय स्थापित करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार ने लोगों के व्यवहार को परिवर्तित करने का प्रयास किया और जनता तथा स्थानीय अधिकारियों के मध्य संबंध स्थापित करने का काम किया।

चौथा है सूचना-तकनीक का सफल उपयोग। सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक प्रभावी उपयोग योजनाओं के सफल कार्यान्वयन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके जरिए योजनाओं की चौबीसों घंटे निगरानी की व्यवस्था की गई और यह सुनिश्चित करने की जवाबदेही तय की गई कि लाभार्थी को सही समय के भीतर उपयुक्त लाभ मिल जाए। सबसे महत्वपूर्ण है पारदर्शिता। एक प्रभावी और पारदर्शी मैकेनिज्म से न केवल सही व्यक्ति तक लाभ पहुंचता है, बल्कि भ्रष्टाचार को दूर करने का भी यह एक प्रभावी उपकरण है। मोदी सरकार द्वारा ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ योजना को कार्यान्वित करना पारदर्शी व्यवस्था का एक बड़ा उदाहरण है। अगला मंत्र है कार्यान्वयन कर्ताओं को प्रेरित करना। सरकार ने सार्वजनिक मंचों पर योजनाओं के कार्यान्वयन में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के योगदान को पुरस्कृत कर उन्हें प्रेरित करते रहने का काम किया है। देखा जाए तो यह मोदी सरकार द्वारा भारतीय लोक प्रशासन में वैल्यू ऐडिशन है, जिसने सुशासन को वास्तविक रूप प्रदान किया।

(लेखक ”विनय सहस्रबुद्धे” बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य हैं)

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