और अधिक राहत देने की जरूरत

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अनलॉक-1 के प्रारभ होते ही बाजारों में चहल पहल तो बढ़ आई है परन्तु आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर आने पर काफी वत लगेगा। बाजारों में लोग अभी भी खरीददारी केवल जरूरी सामानों की कर रहे हैं। इसके दो कारण हैं एक तो लोगों के पास नकदी की कमी हैं तो दूसरी तरफ जिनके पास नकदी है उसे वे बचाकर रखना चाहते हैं। लोगों के लिए संशय की स्थिति है। वे आगे आने वाले समय का अनुमान लगाकर अनावश्यक खर्च करने से बच रहे हैं। हालांकि लिविडिटी बढ़ाने को केन्द्र सरकार ने अनेक पैकेज दिये हैं इसमें जनधन खातों में पैसा भेजना भी शामिल है। केंद्र सरकार के पैकेज व मनरेगा जैसी योजनाओं के शुरू होने से बाजार में मुद्रा की तरलता बढ़ेगी। परन्तु व्यवसाइयों का आंकलन है कि यह गति काफी धीमी है। किसानों के गेहूं की फसल कट चुकी परन्तु किसानों की ओर से पूंजी अभी बाजार की तरफ नहीं आ पा रही है।

इसका मुख्य कारण शादी विवाह का कोरोना संक्रमण की वजह से टल जाना। अधिकतर किसान रवि की फसल कटने के बाद विवाह जैसे सामाजिक कार्य करते थे। विवाह के चलते ग्रामीण क्षेत्रों व कस्बों के बाजारों में काफी चहल-पहल रहती थी। बिक्री भी सामान्य दिनों से अधिक होती थी। फुटकर दुकानों में बिक्री बढऩे के बाद थोक के बाजारों में भी रौनक बढ़ जाती थी। परन्तु इस बार ऐसा नहीं है। बाजारों में कम बिक्री के कारण व्यापारियों के माथे पर चिन्ता साफ देखी जा रही है। जीवनयापन के लिए जरूरी सामानों इतर व्यवसाय करने वाले बाजार लोगों का रूख देखकर मायूस हैं। व्यवसाय की धीमी गति को लेकर व्यवसायिक संगठन सरकार से कई तरह की रियायत की मांग कर रहे हैं। संगठनों का मानना है कि सरकार के पैकेज का लाभ उद्योगपतियों व सामान्य तबके को अधिक मिल रहा है। जबकि थोक व खुदरा व्यापार की स्थिति ठीक नहीं है।

व्यावसायिक संगठनों की मांग है कि सामान्य व्यापारियों को राहत के साथ-साथ केंद्र व राज्य सरकारों को कर में भी छूट देनी चाहिये जिससे थोक व खुदरा व्यापारियों को बाजार की मंदी से उभरने में आसानी हो। व्यापारियों व व्यवसायियों की स्थिति अगर ठीक नहीं होगी तो इसका सीधा असर स्थानीय व असंगठित क्षेत्र के रोजगार पर पड़ेगा। छोटे उद्योगपतियों के माल नहीं बिकने पर उनके यहां काम कर रहे श्रमिकों के हाथों को काम नहीं मिलेगा। सरकार भी श्रमिकों की स्थिति को समझते हुए उन्हें संभल देने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को दो माह और आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। यदि यह योजना और आगे बढ़ी तो दो महीने तक नि:शुल्क अनाज मिल सकता है। इस योजना के अन्तर्गत 81 करोड़ लोगों को लाभ मिला। इस योजना से केंद्र सरकार के खजाने पर 46000 करोड़ रुपये का भार बढ़ा है।

यह योजना यदि और आगे बढ़ती है तो केंद्र सरकार को 30 हजार करोड़ रुपये का बोझ सहना पड़ेगा। इसी तरह सरकार ने पटरी दुकानदारों को कर्ज देने की योजना शुरू की है। इसमें पटरी दुकानदारों को एक साल के लिए दस हजार रुपये का कर्ज मिलेगा। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि रखा गया है। यह कर्ज अनुदान प्रधान है। कर्ज लेने वाले लाभार्थियों को केंद्र सरकार ब्याज पर सब्सिडी देगी। यदि पटरी दुकानदार समय से कर्ज वापस कर देता है तो उसे बाद में और भी कर्ज मिल सकता है। इसके अतिरित सरकार ने कौशल विकास प्रशिक्षण के अन्तर्गत श्रमिकों को प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया है। कोरोना संक्रमण के संकट के चलते बाजारों में आर्थिक ठहराव आ गया है। इसको दूर करने के लिए बाजार व सरकार दोनों को तालमेल बनाकर हल ढूंढना होगा।

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