प्रभात यूरो, नई दिल्ली। महज दो महीने के भीतर ही चीन से निकलकर कोरोनावायरस पूरी दुनिया में फैल गया। 1.5 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोनावायरस के डर से दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी घर पर रहने को मजबूर है। अमेरिका जैसे ताकतवर देश भी इसके आगे बेबस हैं। लेकिन, बड़ा सवाल अब भी है कि ये महामारी खत्म कैसे होगी? कुछ दिन पहले अमेरिका के कोरोनावायरस टास्क फोर्स के डॉ. एंथनी फाउची ने कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि कोरोना सीजनल फ्लू या मौसमी बीमारी बन जाए। अब ऐसी ही बात साइंस मैगजीन में छपी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में भी सामने आई है। इस रिसर्च में कहा गया है, जब तक कोरोनावायरस का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं मिल जाता, तब तक इस महामारी को खत्म करना नामुमकिन है। इसके मुताबिक, बिना वैक्सीन या असरदार इलाज के कोरोना सीजनल फ्लू बन सकता है और 2025 तक हर साल इसका संक्रमण फैलने की संभावना है। सबसे पहले तो ये कि इस बीमारी का नाम कोविड-19 है, जो सार्स कोव-2 नाम के कोरोनावायरस से फैलती है। कोरोनावायरस फैमिली में ही सार्स और मर्स जैसे वायरस भी होते हैं।
सार्स 2002-03 और मर्स 2015 में फैल चुका है। इसी फैमिली में दो ह्यूमन वायरस भी होते हैं। सार्स और मर्स जैसी महामारियों से जल्द ही छुटकारा मिल गया था। दरअसल, किसी भी बीमारी से लडऩे में इम्यून सिस्टम मददगार होता है। किसी इंसान का इम्यून सिस्टम जितना स्ट्रॉन्ग होगा, वह किसी बीमारी से उतनी ही मजबूती से लड़ सकेगा। इसलिए जब हम बीमार होते हैं, तो हमारा शरीर उस बीमारी से लडऩे की इम्युनिटी बना लेता है और हम ठीक हो जाते हैं। 2025 तक रहेगी ये बीमारी: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी में पाया गयाल है कि अगर कोविड-19 को लेकर इम्युनिटी बन भी गई, तो भी इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म होने में 2025 तक का समय लगेगा। हालांकि, इस बात की संभावना भी कम है क्योंकि, अकेले दक्षिण कोरिया में 111 लोग जो कोरोना से ठीक हो गए थे, वे दोबारा संक्रमित हुए हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड इन्फेक्शियस के रिसर्चर और इस स्टडी के लीड ऑथर स्टीफन किसलेर का मानना है कि कोविड-19 से बचने के लिए हमें कम से कम 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग बनानी होगी।
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एरिन मोर्डेकाई कहती हैं कि, 1918 में जब स्पैनिश लू फैला था, तब अमेरिका के कुछ शहरों ने 3 से 8 सप्ताह तक लगी पाबंदी को अचानक हटा दिया था। इसका नतीजा ये हुआ था कि ये लू कम समय में ही ज्यादा जगहों में फैल गया। स्पैनिश फ्लू से 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे, जबकि 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। एरिन आगे कहती हैं कि कोरोना के डर से हमें साल-डेढ़ साल के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन रखने की जरूरत नहीं है, लेकिन 12 से 18 महीनों तक हमें कुछ प्रतिबंध जारी रखने होंगे। सितंबर तक वैक्सीन: ब्रिटेन भी उन देशों की फेहरिस्त में शामिल है, जहां के वैज्ञानिक कोरोना का उपचार खोजने के लिए शोध कर रहे हैं। अब ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है। गिलबर्ट ने वैक्सीन के सितंबर तक आ जाने का दावा करते हुए कहा कि हम महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर काम कर रहे थे, जिसे एम्स नाम दिया गया था. इसके लिए हमें योजना बनाकर काम करने की जरूरत थी।