अनाज का अमेरिकी अहसान दवा से चुकता

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नई दिल्ली। समय बड़ा बलवान होता है। 1951 के बाद भारत ने अनाज की कमी से निपटने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। अब दुनिया का यह सुपर पावर देश कोरोना के खिलाफ जंग में भारत के सहारे है। वायरस ने अमेरिका को घुटनों के बल पर ला दिया है। रोज हो रही सैंकड़ों मौतों ने से परेशान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की गुहार लगाई। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी भी कर दी है। नेहरू ने मांगी थी मदद: 1951 में देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अनाज की कमी से जूझ रहे देश के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। 12 फरवरी 1951 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने भारत को अनाज की कमी से निपटने के लिए कांग्रेस में भारत को 20 लाख टन आपात मदद की अनुशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि हम भारत की अपील पर बहरे बने नहीं रह सकते हैं। चिढ़ता था अमेरिका: अमेरिका भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत से चिढ़ता रहा था।

इसके अलावा चीन को लेकर भारत की नीति, कोरियाई युद्ध, पश्चिम उपनिवेशवाद और अन्य मुद्दों पर भारत के रुख अमेरिका और नई दिल्ली के बीच रिश्तों को तल्ख बना रहे थे। पिछले करीब 70 सालों में बहुत कुछ बदल चुका है। भारत आज खाद्यान उत्पादन आत्मनिर्भर हो चुका है। लेकिन अब हो रहा है उल्टा। अमेरिका भारत के सामने एक दवाई के लिए हाथ फैला रहा है और भारत उसे जल्द ही यह दवा उपलब्ध कराने वाला है। ट्रंप ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की तीन करोड़ से अधिक गोलियां खरीदी हैं। गुजरात की तीन कंपनियां अमेरिका को इन दवाओं का निर्यात करेगी। मोदी को विश्वास: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस वक्तव्य से सहमति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि असाधारण वक्त में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की आवश्यक्ता होती है। उन्होंने कहा कि भारत- अमेरिका की साझेदारी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।

भारत मानवता की सहायता के लिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर संभव कोशिश करेगा। हम इसे एक साथ जीतेंगे। वाह-वाह कर रहे हैं ट्रंप: कोरोना महामारी के भयानक संकट के दौर से गुजर रहे अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को भारत सरकार की मंजूरी मिलने के बाद पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं। ट्रंप काफी खुश हैं। माना जा रहा है कि मलेरिया की यह दवा कोरोना से लडऩे में कारगार है। हालांकि न तो वैज्ञानिक और न ही डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। भारत खुश: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रैटस के उम्मीदवार की रेस में आगे चल रहे बर्नी सैंडर्स के अपना नाम वापस लेने के साथ ही पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए रास्ता लगभग साफ हो गया है। बर्नी को भारत विरोधी माना जाता था। चुनाव में डेमोक्रैटिक पार्टी के बाइडन और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं।

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