‘कमल’ ने कमल को पछाड़ा?

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आज तोताराम ने आते ही उत्साहित होकर घोषणा की- मास्टर, पछाड़ दिया |

हमने पूछा- क्या मध्यप्रदेश में कमल ने कमल को पछाड़ दिया ?

बोला- यह क्या प्रश्न है ? कमल ने कमल को …..| क्या कारक चिह्न याद कर रहा है ?
हमने कहा- दोनों तरफ ही कमल हैं |एक का चुनाव-चिह्न और दूसरे का नाम | एक कमल को हारना है और एक कमल को जीतना है |हाँ, लोकतंत्र का मरण है | इन खिलाड़ियों का क्या है ? इन्हें तो कीचड़ में ही खेलना है |हर हालत में बेशर्मी के कीचड़ में स्वार्थ का कमल खिलना है |

बोला- मास्टर, मैं इस राजनीतिक खेल की बात नहीं कर रहा हूँ |मैं तो कोरोना की बात कर रहा हूँ | आंकड़े देख- कोरोना वायरस से अब तक 5833 लोगों की जान जा चुकी है, 1.55 लाख से अधिक संक्रमित हो चुके हैं |अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 57 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3000 लोग संक्रमित हैं | इटली में 1400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 21000 से भी अधिक संक्रमित हैं |हालांकि भारत में भी संक्रमण 100 का आंकड़ा पार कर गया है और दो लोगों की मौत हो गई है, लेकिन हम मजबूती से लड़ रहे हैं |

हमने कहा- यदि किसी देश में हजारों संक्रमितों में से दस मरे और हमारे यहाँ साठ में से दो मरे तो मृत्यु दर तो हमारे यहाँ ज्यादा हुई ना ? तुझे पता होना चाहिए कि अपने यहाँ केवल विदेशों से आए हुए लोगों की जांच हो रही है और उन्हीं के आंकड़े उपलब्ध है |यदि यही बीमारी गांवों में फ़ैल गई तो कोई कुछ नहीं कर सकेगा |ये जो दिन में बीस बार महंगे सेनेटाईज़र से हाथ धो रहे हैं वे तो वैसे भी अपने साधनों के बल पर बचे रहते हैं | जो सामान्य आदमी हर हालत में दो रोटी के लिए घर से निकलने को मज़बूर हैं वे भगवान के भरोसे बचते हैं |उनके पास घर में बैठने की सुविधा नहीं है | पीने तक को साफ़ पानी नहीं हैं तो दिन में बीस बार हाथ कहाँ से धोएँगे ? भगवान से प्रार्थना कर कि यह बीमारी वहाँ तक न फैले |

बोला- तू मोदी जी कोरोना से लड़ने की क्षमता पर शंका मत कर |ब्रिटेन की तो स्वास्थ्य मंत्री तक कोरोना से संक्रमित हो गई, कनाडा में प्रधान मंत्री की पत्नी लपेट में आ गई लेकिन भारत में कोई आस्थावान और भक्त तथा नेता कोरोना की गिरफ्त में आया हो तो बता ?

हमने कहा- बेंगलूरु में एक मरा कि नहीं ?

बोला- लेकिन वह आस्थाहीन मुसलमान था | यदि हिन्दू होता,कोरोनासुर का दहन करता, गौमूत्र पीता, मोदी जी से भजन गाकर बचाने की गुहार करता तो शायद वह भी बच जाता |

हमने फिर कहा- और एक महिला दिल्ली में मरी वह ?

बोला- उसका धर्म नहीं बताया इसलिए कोरोना से लड़ने की हिन्दू तकनीक पर शंका नहीं की जा सकती |और कोरोना से मरने वाले को सरकार चार लाख रुपए भी तो देगी |

हमने कहा- लेकिन मृत्यु कोरोना से हुई है इसके लिए ज़रूरी है कि सुदूर स्थानों में वाला साधनहीन व्यक्ति अस्पताल तक पहुंचे तो |हाँ, साल-छह महिने बाद ऐसे कई मामलों का घपला ज़रूर सामने आएगा कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने डाक्टरों और अधिकारियों से मिलकर, कोरोना से क्या, बिना मरे ही चार-चार लाख का क्लेम उठा लिया था |

 

रमेश जोशी
(लेखक देश के वरिष्ठ व्यंग्यकार और ‘विश्वा’ (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, अमरीका) के संपादक हैं। ये उनके निजी विचार हैं। मोबाइल -09460155700 blog-jhoothasach.blogsport.com (joshikavirai@gmail.com)

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