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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप-विरोधी नौटंकी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन पर वहां की संसद का महाभियोग पास हुआ है। उनके पहले 1868 में एंड्रू ज़ॉन्सन और 1998 में बिल क्लिंटन पर यह बड़ा मुकदमा चल चुका है। ये दोनों ही बच गए थे लेकिन जब राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर 1974 में वाटरगेट को लेकर मुकदमा चलने की तैयारी हुई तो उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया था।

जहां तक ट्रंप का सवाल है, उनके इस्तीफे की तो ज़रा-सी भी संभावना नहीं है और जहां तक महाभियोग का सवाल है, उनका बाल भी बांका नहीं होगा, क्योंकि जब तक सीनेट याने उच्च सदन दो-तिहाई मत से उनका विरोध नहीं करे, तब तक वे अपनी कुर्सी में सुरक्षित हैं। इस समय ट्रंप-विरोधी डेमोक्रेटस को सीनेट में दो-तिहाई तो क्या, बहुमत भी हासिल नहीं है। सीनेट के 100 सदस्यों में से 53 रिपब्लिकन हैं याने ट्रंप का स्पष्ट बहुमत है। इसके अलावा राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रंप को ऐसे कई डेमोक्रेटिक सीनेटरों के निर्वाचन-क्षेत्रों में बहुमत मिला है कि वे घबराए हुए हैं कि यदि उन्होंने ट्रंप के खिलाफ सीनेट में वोट कर दिया तो वे दुबारा सीनेटर चुन जाएंगे भी या नहीं? हो सकता है कि वे तटस्थ रहें या मतदान के समय गैर-हाजिर रहें।

ट्रंप पर दो आरोप हैं। एक तो उन्होंने ऊक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर झेलेन्स्की को धमकी दी थी कि उनके खिलाफ 2020 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़नेवाले डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडन के खिलाफ वे जांच करें, क्योंकि वे और उनका बेटा ऊक्रेन की किसी कंपनी के साथ मिलकर व्यापार कर रहे थे। ट्रंप ने ऊक्रेन को दी जाने वाली 40 करोड़ डालर की मदद बंद करने की भी धमकी झेलेन्स्की को दी थी।

दूसरा, जब ट्रंप के इस कारनामे की जांच होने लगी तो उन्होंने उसमें भी अडंगा लगा दिया। इन मुद्दों पर अमेरिका के अखबारों और टीवी चैनलों पर असंख्य रहस्योदघाटन हो रहे हैं। कई अफसर गुस्से में आकर अपने इस्तीफे दे रहे हैं। ट्रंप भी गाली-गुफ्ता पर उतर आए हैं। अमेरिकी राजनीति में कड़ुवाहट घुल गई है।

रिपब्लिकन उम्मीद कर रहे हैं कि 2020 के राष्ट्रपति के चुनाव में इस कड़ुवाहट का फायदा उन्हें मिलेगा लेकिन पिछले तीनों महाभियोगों के मुकाबले इस महाभियोग का आधार काफी कमजोर है। वह संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन जरुर है लेकिन उसमें असली मामला विदेशी है और वह भी अमेरिकी नागरिकों को सीधा प्रभावित करनेवाला नहीं है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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