30 साल बाद विशेष संयोग में शुरु हुआ पौष माह, 10 जनवरी तक चलेगा

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सूर्य की शक्तियों वाला पौष का महीना शुक्रवार से शुरू हो गया है। इस महीने सृष्टि में बहुत से बदलाव आते हैं। ऐसे में उस बदलाव के लिए तैयार होना जरूरी है। इसलिए पौष महीने में जीवन को उत्तम बनाने का सही समय होता है। ज्योतिषाचार्य पं प्रवीण द्विवेदी के अनुसार वैसे तो पौष माह में कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं, लेकिन ईश्वर की उपासना विशेष तौर पर सूर्य उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना शास्त्रों में माना जाता है।

मलमास के कारण शुभ कार्यों पर लगा ब्रेक

मलमास के कारण 14 जनवरी तक मांगलिक और शुभ कार्य नहीं होंगे। सिर्फ भगवान की पूजा अर्चना ही होगी। इस माह में जप, दान, पूजा-पाठ, भागवत व राम कथा सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। मान्यता है कि पौष माह में कथा श्रवण करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

30 साल बाद विशेष संयोग

30 साल बाद ऐसा हो रहा है जब बृहस्पति-चंद्रमा के केंद्र योग में पौष माह का शुभारंभ हुआ है। ये 2 ग्रह गजके सरी नाम का राजयोग बना रहे हैं। इनके साथ ही वृश्चिक राशि में सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग बना रहे हैं। सूर्य की इस विशेष स्थिति में पौष माह की शुरुआत होने से ये महीना और खास हो गया है। इनके अलावा इस महीने की शुरुआत में धनु राशि में चार ग्रह भी स्थित थे। जो कि लगभग पूरे महीने रहेंगे। बृहस्पति का अपनी ही राशि में होना धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और दान करने के लिए श्रेष्ठ योग बन रहा है। इस संयोग में किए गए धर्म-कर्म का दुगना फल मिलता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष महीने का महत्व

हिन्दू पंचांग के दसवें महीने को पौष कहते हैं। इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है इसलिए ठंडक काफी रहती है। इस महीने में सूर्य अपने विशेष प्रभाव में रहता है। महीने में मुख्य रूप से की जाने वानी सूर्य की उपासना ही विशेष फलदायी होती है। मान्यता है कि इस महीने सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को ऊर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करता है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना करे तो व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ और संपन्न रहेगा।

ऐसे क रें सूर्य की उपासना

रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के पात्र से जल में रोली और फूल डालकर अर्पित करें। सूर्य मंत्र ? आदित्याय नम: का जाप करें नमक का सेवन कम से कम करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। रोज सूर्योदय से पहले उठें और सूर्य पूजा करें। तिल, गेहूं, गुड़, ऊनी वस्त्र, तांबे के बर्तन और लाल वस्तुओं का दान करें।

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