अभी पितरों के लिए विशेष पूजा-पाठ करने का पर्व पितृ पक्ष चल रहा है। इन दिनों में पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि शुभ कर्म किए जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पितृ पक्ष में किए गए शुभ कामों से पितरों को तृप्ति मिलती है। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु तिथि मालूम न हो तो उसका श्राद्ध पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इस बार अमावस्या शनिवार, 28 सितंबर को है। जानिए पितृ पक्ष में किए जाने वाले शुभ कामों से जुड़ी कुछ खास बातें…
पितृ पक्ष से जुड़ी मान्यता
पं. शर्मा के अनुसार मान्यता प्रचलित है कि पितृ पक्ष में परिवार के पितर देवता पृथ्वी पर आते हैं। परिवार के मृत सदस्यों की मृत्यु तिथि पर पितृ पक्ष में तर्पण आदि पुण्य कर्म किए जाते हैं। पिंडदान, अन्न और जल ग्रहण करने की इच्छा से पितर देवता अपने परिवार के पास आते हैं। उनकी तृप्ति के लिए ही शुभ काम किए जाते हैं। इन शुभ कामों से पितरों को शक्ति मिलती है और वे पितृ लोक तक कुशलता से सफर कर पाते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है।
रोज करना चाहिए तर्पण
पितृ पक्ष में रोज तर्पण करना चाहिए। इसके लिए एक लोटे में जल भरें, जल में फूल और तिल मिलाएं। इसके बाद ये जल पितरों को अर्पित करें। जल अर्पित करने के लिए जल हथेली में लेकर अंगूठे की ओर से चढ़ाएं।
ब्राह्मणों को भोजन कराने का महत्व
श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। अपनी शक्ति के अनुसार किसी एक ब्राह्मण को या ज्यादा ब्राह्मण को इस पक्ष में भोजन कराना चाहिए। सार्मथ्य के अनुसार अनाज और वस्त्र का दान करें। तर्पण आदि कामों में चांदी के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। चांदी के बर्तन इन कर्मों के लिए शुभ माने गए हैं।
पिंड को माना जाता है शरीर का प्रतीक
पिंडदान करते समय पके हुए चावल और काले मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं। इन पिंडों को मृत व्यक्तियों के शरीर का प्रतीक माना जाता है। इन्हीं पिंडों को वस्त्र, अनाज, हार-फूल, कुमकुम आदि पूजन सामग्री चढ़ाई जाती है। पूजा के बाद इन पिंडों को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।