हर शुभ काम और अनुष्ठान में सबसे पहले की जाती है गणपति की पूजा

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हर मांगलिक काम और देवी देवताओं की पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है इसलिए श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता हैं, ग्रंथों में भगवान गणेश के प्रथम पूज्य होने के कारण अलग-अलग हैं लेकिन सभी ग्रंथों से अलग अलग व्यवहारिक पक्ष देखें तो भी गणेश ही पहले देवता है। गणेश बुध्दि के देवता हैं हर काम के सुभारंभ से पहले हमें बेहतर योजना, दूरदर्शी फैसले और कुशव नेतृत्व की आवश्कता होती है। अगर गणेश के पहले पूजन को सांकेतिक भी मानें तो ये सही है कि हर काम की शुरुआत से पहले बुध्दि का उपयोग आवश्यक है। और बुध्दि देने वाले भगवान श्रीगणेश ही हैं। ग्रथों में हैं अलग-अलग कारण…

लिंग पुराण : लिंगपुराण के अनुसार देवताओं ने भगवान शिव से राक्षसों के दुष्कर्म में विध्न पैदा करने के लिए वर मांगा। शिवजी ने वर देकर देवताओं को संतुष्ट कर दिया। समय आने पर गणेश जी प्रकट हुए देवताओं ने गणेश जी की पूजा की। तब भगवान शिव ने गणेश जी को दैत्यों के कामों में विध्न पैदा करने का आदेश दिया। इसलिए हर मांगलिक काम और पूजा पाठ में नकारात्मक शक्तियों की रुकावट से बचने के लिए विध्नेश्वर गणेशजी की पूजा की जाती है।

महर्षि पणिनि: महर्षि पणिनि के अनुसार दिशाओं के स्वामी यानि अष्टवसुओं के समूह का गण कहा जाता है इनके स्वामी गणेश हैं इसलिए इन्हे गणपति कहा जाता है गणेश जी की पूजा के बिना मांगलिक कामों में किसी भी देवी देवता का आगमन नहीं होता। इसलिए हर मांगलिक काम और पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

शिवमहापुराण कथा : शिव महापुराण की कथा के अनुसार जब भगवान शिव और गणेश जी के बीच युध्द हुआ और गणेश जी का सिर कट गया तो देवी देवतोओं के कहने पर शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि इस रूप में मेरे पुत्र की पूजा कौन करेगा तब शिवजी ने वरदान दिया कि सभी देवी देवताओं की पूजा और हर मांगलिक काम से पहले गणेश की पूजा की जाएगी। इनके बिना हर पूजा और काम अधूरा माना जाएगा।

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