हर जीव के अंदर होते हैं भगवान

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जब से इस सृष्टि की रचना हुई होगी तब से लेकर आज तक न जाने इस धरती पर कितने ईश्वर ने जन्म लिया होगा। वह युग चाहे कोई सा भी हो। परंतु मनुष्य ने अपना उल्लू सीधा करने के लिये भगवान को भी बांट दिया है। यानी आज का मानव स्वावलंबी तो है ही इसके साथ वह अधिक स्वार्थी हो गया है। ऐसी मान्यता है कि हिंदु धर्म में छैतीस करोड़ देवी-देवता बताये गये हैं। अब बात आती है धर्म की तो धर्म मनुष्य के लिये बना न कि आदमी धर्म के लिये बना है। जब एक नन्हा शिशु जन्म लेता है तो उसकी कोई जाति नहीं होती। हां हम यह बात तो कह सकते हैं कि उसकी श्रेणी अलग हो सकती है जैसी पशु-पक्षी, जीव-जन्तु इस धरती पर हैं। उन्हीं में से एक हैं वह भी सर्वश्रेष्ठ कहा जाने वाला मनुष्य है। हम सब जानते हैं कि एक शिशु जहां से धरती पर आता है उसी रास्ते से सारे जीव जन्तु आते हैं और एक सत्य बात यह है कि जो शरीर हमें उस अदृश्य रूपी शक्ति ने दिया है वह एक दिन मिट्टी में यानी पांच तत्वों से मिलकर हमारा शरीर बना है उसी में मिल जायेगा। धरती पर जन्म लेने का रास्ता एक है और मृत्यु का रास्ता हर प्राणी का एक है तो भगवान कैसे इंसानों के अलग-अलग हो सकते हैं। हर धर्म में यही बात बताई गई है कि सबका मालिक एक है।

अब जब बात आती है देश के सबसे बडे़ धार्मिक मसले यानी श्रीराम मंदिर बनाने की तो इस मसले का अंगे्रजी सरकार हल नहीं निकाल पायी तो मुझे लगता है आज स्वदेशी भी निकाल पाने में असमर्थ हैं। हम यह बात नहीं कर रहे कि वहां किसका धार्मिक स्थल था हम यह कह रहे हैं कि जितने भी धर्म हमारे देश में हैं उन सबका अधिकार बनता है कि वह स्थान हमारा ही है यानिके हम सब देशवासियों का। तो फिर विवाद किस बात का। विवाद है अपनी-अपनी रोटी सेंकने का। अभी देश में इस विवादित जमीन पर दो धर्मों के लोग लड़ रहे हैं वह समय भी दूर नहीं जब हर धर्म के लोग इस पर अपना अपना मत रख सकते हैं कि यह हमारी है।

आप जानते ही हैं कि वह त्रेता युग हो जिसमें बचपन से ही भगवान और देवी-देवताओं की प्रार्थना करते आ रहे हैं] उनकी भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह अलगण्अलग तरीके से भगवान एवं धर्म से जुड़े हुए हैं। फिर भी] हम पूछते हैं कि भगवान कौन हैं क्या हकीकत में भगवान का अस्तित्व हैं क्या वास्तव मे भगवान हैं कहाँ हैं भगवान क्या किसी ने भगवान को देखा हैं या उनका अनुभव किया हैं भगवान का पता क्या हैं यह ब्रह्मांड किसने बनाया] क्या भगवान के अस्तित्व का कोई सबूत हैं क्या ये दुनिया भगवान चलाते हैं भगवान का न्याय क्या है हम भगवान के साथ अभेद कैसे हो सकते हैं क्या मैं भगवान का प्रेम पा सकता हूँघ् क्या भगवान से की हुई हमारी प्रार्थनाओं का हमें ज़वाब मिलता हैं क्या भगवान एक है।

हम सब यह बात अच्छी तरह जानते हैं जब-जब प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है तब-तब हम सब भूल जाते हैं कि हमारे भगवान अलग-अलग हैं। जब हम इस विशाल ब्रह्मांड को देखते हैं तब हम एक अद्भुत शक्ति का भव करते हैं जो सभी को संतुलित रखती हैं ऐसा प्रतीत होता हैं। दूसराए जब हम सुंदर प्रकृति को देखते हैं हम इसकी प्रशंसा करते हैं और उसके साथ आत्मीयता का अनुभव करते हैं। फिर भी हम कुदरती आपदा] बीमारी] गरीबी] अत्यन्त दुःख] अन्याय और हिंसा से व्याकुल होते हैं। एक ओर हम देखते हैं किस तरह मनुष्यों ने विज्ञान और तकनिकी में तरक्की की है और दूसरी तरफ हम देखते हैं कि किस तरह ज़्यादा से ज़्यादा लोग तनावए डिप्रेसन और चिंता से जूझ रहे हैं। दुनिया के प्रति ऐसा दोतरफा दृष्टिकोण कई सारे प्रश्न खड़े करता है जैसे कि भगवान कहाँ हैं क्या प्रार्थना में शक्ति है भगवान का प्रेम कहाँ खो गया क्यों इतना अन्याय है क्यों अच्छे कर्म करने वाले लोगों को सहन करना पड़ता हैं जबकि दूसरे लोग जो गलत करते हैं फिर भी आज़ाद घुमते हैं। तो क्या भगवान हैं, वास्तव में भगवान हैं! उतना ही नहीं बल्कि भगवान तो आपके अन्दर ही हैं।

सुदेश वर्मा,
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये निजि विचार हैं

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