भगवान शिवजी, श्रीविष्णु जी तथा पीपल वृक्ष की पूजा से होगी मनोकामना पूरी
108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा एवं पूजा से मिलेगी खुशहाली, करेंगे कष्ट
भारतीय संस्कृति के हिन्दू सनातन धर्म में धर्मग्रन्थों के अनुसार प्रत्येक माह के तिथि-पर्व की विशेष महिमा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि सोमवती अमावस्या के नाम से जानी जाती है। इस बार 13 नवम्बर, सोमवार को अमावस्या तिथि पड़ने से सोमवती अमावस्या का पर्व हर्ष, उमंग व उल्लास के साथ मनाया जाएगा। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रविवार, 12 नवम्बर को दिन में 2 बजकर 46 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन सोमवार, 13 नवम्बर को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। विशाखा नक्षत्र रविवार, 12 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 4 बजकर 52 मिनट से सोमवार, 13 नवम्बर को रात्रिशेष 3 बजकर 23 मिनट रहेगा। सौभाग्य योग रविवार, 12 नवम्बर को दिन में 4 बजकर 24 मिनट से सोमवार, 13 नवम्बर को दिन में 3 बजकर 23 मिनट रहेगा। अमावस्या तिथि पर स्नान दान-व्रत एवं श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। ऐसे करें पूजा-अर्चना –
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर अमावस्या तिथि के पूजन का संकल्प लेना चाहिए। सोमवती अमावस्या पर भगवान् श्री विष्णुजी एवं पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है। अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना के पश्चात् पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति का सुयोग बनता है। पीपल वृक्ष की विशेष महिमा – धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ब्राह्मण को घर पर निमन्त्रित करके उन्हें भोजन
करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे-चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चाँदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए। समस्त धार्मिक अनुष्ठान करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष की पूजा का आज विशेष महत्व है। पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र-ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः। आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमन्दों की सेवा व सहायता तथा परोपकार अवश्य करना चाहिए। जिससे जीवन में सुख-शान्ति व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो सके।
ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन मो. : 09335414722