सूर्यग्रहण

0
320

धनु राशि में बनेगा छः ग्रहों का अनूठा संयोग
कर्क, तुला, कुम्भ एवं मीन राशि वालों की चमकेगी किस्मत

वर्ष 2019 तथा विक्रम संवत 2076 के अन्तिम सूर्यग्रहण के रूप में पौष कृष्ण, अमावस्या 26 दिसम्बर, गुरुवार को दिखाई देगा। यह ग्रहण मूल, नक्षत्र एवं धनु राशि पर लगेगा, जिसकी वजह से धनु राशि विशेष प्रभावित होगी। इस दिन धनु राशि में छः ग्रह-सूर्य चन्द्रमा, बुध, गुरु, शनि एवं केतु उपस्थित रहेंगे। जिनका जन्म धनु राशि एवं मूल नक्षत्र में है, उनके लिए यह ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है उन्हें यह ग्रहण बिल्कुल नहीं देखना चाहिए। प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन ने बताया कि ग्रहण का स्पर्शकाल भारतीय मानक समय के अनुसार 26 दिसम्बर, गुरुवार को प्रातः 8 बजकर 00 मिनट पर, ग्रहण का मध्य 10 बजकर 48 मिनट पर, ग्रहण का मोक्षकाल 12 बजकर 36 मिनट पर होगा। ग्रहण के स्पर्श, मध्य एवं मोक्ष के समय स्नान करना चाहिए।

सूर्यग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व प्रारम्भ हो जाता है। खण्डग्रास रूप में पूर्वी यूरोप, दक्षिणा-पूर्व एशिया, उत्तर-पूर्व आस्टेलिया, सोलोमान द्वीप समूह, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी भाग, प्रशान्त महासागर और हिन्दू महासागर के विस्तृत क्षेत्र में दृश्य है। खण्डग्रास के रूप में सूर्यग्रहण मध्य पूर्व के सऊदी अरब, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात ओमान, उत्तर-पूर्वी पाकिस्तान, लक्षद्वीप, अरब सागर होता हुआ दक्षिण भारत, श्रीलंका, मालद्वीप, उत्तर सुमात्रा, दक्षिण मलेशिया, मध्य इण्डोनेशिया, पलाऊ, सिंगापुर, बोर्नियो के कुछ भाग, आस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग, मलेशिया के बाहर के कुछ देशों के भाग और गुआम में दृश्य है।

प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी के अनुसार काशी में खण्डग्रास रूप में दृश्य होगा। ग्रहण का स्पर्श प्रातः 8 बजकर 20 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्य प्रातः 9 बजकर 40 मिनट पर तथा ग्रहण का मोक्षकाल दिन में 11 बजकर 13 मिनट पर होगा। भारतवर्ष में सूर्यग्रहण के स्पर्श के समय ग्रस्तोदित खण्ड सूर्यग्रहण कुछ ही स्थानों पर दिखाई पड़ेगा। देश के अलग-अलग सूर्योदय का मोक्षकाल का समय भी अलग-अलग होगा।

प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि सूतक काल के आरम्भ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बन्द हो जाते हैं। सूतक काल में हास्य-विनोद, मनोरंज, शयन, भोजन, देवी-देवता के पूर्ति या विग्रह का स्पर्श करना, व्यर्थ वार्तालाप, अकारण भ्रमण, वाद-विवाद करना आर्दि वर्जित है। इस काल में यथासम्भव मौन-व्रत रहते हुए अपने दैनिक जरूरी कार्यों को सम्पन्न करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखना पूर्णतया वर्जित है। बालक व वृद्ध एवं रोगी पथ्य एवं दवा आदि ग्रहण कर सकते हैं। भोजन, दूध व जल की शुचिता के लिए उसमें तुलसी के पत्ते या कुश रखना चाहिए यथासम्भव एकान्त स्थान पर अपने आराध्य देवी-देवता को स्मरण करके उनके मन्त्र का जप करना चाहिए। ग्रहण मोक्ष के पश्चात स्नानोपरान्त देव-दर्शन करके यथासामर्थ्य दान करना चाहिए।

धनु राशि में उपस्थित छःग्रही योग के फलस्वरूप सूर्यग्रहण का प्रभाव विषम रहेगा। विश्वपटल पर भी अपना विशेष प्रभाव छोड़ेगा। जिसके फलस्वरूप विश्व के अनेक राष्ट्र प्रभावित होंगे। राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में विशेष हलचल, शेयर, वायदा व धातु बाजार में घटा-बढ़ी के साथ उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। दैविक आपदाएं, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका रहेगी। कई देशों में सत्ता परिवर्तन व पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे। मौसम में अजीबो-गरीबों परिवर्तन होगा। दैविक आपदाएं भी प्रभावी रहेंगी। आर्थिक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के लिए सिरदर्द बनेंगे।

प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन ने बताया कि जिन जातकों को शनिग्रह की अढ़ैया अथवा साढ़ेसाती हो या जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा प्रतिकूल हो तथा सूर्यग्रह के साथ राहु या केतु हों, उन्हें ग्रहणकाल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही सूर्यग्रह से सम्बन्धित मन्त्र का मानसिक जप करें तथा आदित्य ह्रदय स्तोत्र या गायत्री मन्त्र का जप करें। सूर्यग्रहण से द्वादश राशियों का प्रभाव-

मेष – विश्वासघात की आशंका। प्रियजनों से अनबन। वाद-विवाद की आशंका। कार्य-व्यवसाय में अड़चनें। यात्रा असंतोषजनक।

वृषभ – प्रतिष्ठा पर आघात। क्रोध की अधिकता। दुर्घटना की सम्भावना। धन का अभाव। विश्वासघात की आशंका। व्यर्थ भ्रमण।

मिथुन – ग्रहस्थिति निराशाजनक। कार्यों में उदासीनता। मित्रों से मतभेद। पति-पत्नी में कटुता। आत्मविश्वास में कमी। आशाएं अधूरी।

कर्क – कार्य प्रगति पर। दाम्पत्य जीवन में सुख शान्ति। धन संचय में रुचि। आनन्द की अनुभूति। बौद्धिक क्षमता का विकास। हर्ष भी।

सिंह – कार्यों में उदासीनता। क्रोध की अधिकता। दाम्पत्य जीवन में कटुता। आय में न्यूनता। योजना पूर्ति में क्षमता का विकास। हर्ष भी।

कन्या – कार्य व्यवसाय में निराशा। विचारों में उग्रता। स्पष्टवादिता घातक। स्वास्थ्य प्रतिकूल। विवाद से हानि। वाहन से कष्ट।

तुला – प्रगति का मार्ग प्रशस्त। धन का लाभ। जीवन में मधुरता। नवीन कार्यों की योजना। आरोग्य सुख। यमशान प्रतिष्ठा में वृद्धि।

वृश्चिक – लाभ में कमी। जोखिम से नुकसान। विश्वासघात की आशंका। एकाग्रता का अभाव। मानसिक अशांति। यात्रा से हानि।

धनु – विचारों में उग्रता। धन का अभाव। जीवनसाथी से कष्ट। वाद-विवाद की आशंका। आरोप-प्रत्यारोप। नवयोजना अधूरी। दुर्घटना संभव।

मकर – विरोधी प्रभावी। लाभार्जन का मार्ग अवरुद्ध। राजकीय पक्ष से कष्ट। कार्य क्षमता में कमी। धनागम में बाधा। मनोबल में कमी।

कुम्भ – धार्मिक गतिविधियों में रुचि। कार्यों के बनने से प्रसन्नता। उच्चाधिकारियों से सम्पर्कष लाभ की स्थिति। धार्मिक स्थलों की यात्रा।

मीन – आरोग्य सुख। जीवनसाथी से सामंजस्य। बौद्धिक क्षमता का विकासष भाग्योन्नति का मार्ग प्रशस्त। धार्मिक यात्रा का प्रसंग

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here