सियासत के खेल निराले

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आखिर रेल मंत्री पीयूष गोयल को अपने ट्वीटर हैंडल पर रेलवे भर्ती की परीक्षाओं की तारीख़ का ऐलान करना ही पड़ गया। रेलवे की भर्ती परीक्षा देने वाले करोड़ों नौजवान न जाने कब से उनके ट्वीटर हैंडल पर गुहार लगा रहे थे मगर मंत्री जी ने संज्ञान तक नहीं लिया। आप ख़ुद उनके ट्वीटर हैंडल पर जाकर ढूंढ सकते हैं कि कभी छात्रों को आश्वासन तक दिया है। लोकसभा चुनावों से पहले रेल मंत्री खुद ही भर्तियों का ऐलान करते थे मगर अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के वीडियो बयान पर ट्वीट कर सिर्फ जानकारी दे दी। सरकार रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है, चिन्ता करती है ये सब सियासी औपचारिकता भी नहीं थी। ख़ैर। पिछले रविवार से ही छात्र ट्वीटर की टाइम लाइन पर ट्रेंड आंदोलन चला रहे हैं। 35 से 70 लाख ट्वीट करने के बाद भी पीयूष गोयल चुप रहे तब छात्रों ने 5 सितंबर को शाम 5 बजे थाली बजाने का आंदोलन शुरू किया। इसमें सिर्फ रेलवे और एसएससी की परीक्षा के सताए छात्र शामिल नहीं थे, कई राज्यों की अनगिनत परीक्षाओं के सताए छात्र भी शामिल थे। इन राज्यों में भाजपा शासित सरकारें भी हैं और कांग्रेस शासित सरकारें भी। जो परीक्षा की तारीख़ से लेकर परीक्षा पास कर ज्वाइनिंग का इंतज़ार कर रहे हैं। उनके बारे में कुछ नहीं कहा गया। केंद्र की तरफ से न राज्य सरकार की तरफ से। जैसे बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को कोई आश्वासन नहीं मिला।

तालाबंदी के बाद रेलवे ने ऐलान किया था कि इस साल नई भर्तियां नहीं होंगी। सारे विभागों में पदों की कटौती की जा रही है। उसके बाद भी छात्रों ने परीक्षा की तारीख का वादा ले लिया तो राहत की बात है। 15 दिसंबर की तारीख है यानी ये परीक्षाएं अब 2020 से निकल कर 2021 के साल में चली गई हैं। कब ज्वाइनिंग होगी कोई नहीं जानता क्योंकि रेल मंत्री ने इसी आंदोलन में शामिल सहायक लोको पायलट की ज्वाइनिंग का कोई आश्वासन नहीं दिया है। लोकसभा चुनावों के कारण 2018 में उसका विज्ञापन निकला था। नौजवान पास कर चुके हैं। सारी प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं। सिर्फ चिट्ठी देकर उन्हें ट्रेनिंग पर भेजना है ताकि सैलरी मिलनी शुरू हो जाए, इन सब पर कुछ नहीं कहा गया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने जो आंकड़े दिए हैं उनसे काफी जानकारी मिलती है। जिन तीन परीक्षाओं की तारीख की बात कही गई है उसमें 1 लाख 40 हज़ार से अधिक पद हैं। जिसके लिए 2 करोड़ 45 लाख छात्रों ने फार्म भरे थे। बोर्ड के चेयरमैन कोविड का बहाना बता रहे थे। उन्हें याद दिला दूं कि रेलवे की नॉन टेनिकल पोपुलर कैटगरी की परीक्षा का फार्म भरने का काम अप्रैल 2019 में पूरा हो चुका था। इस परीक्षा को जून से सितंबर 2019 के बीच होने का प्रस्ताव था। तब कोविड का नामो-निशान नहीं था। फिर वो परीक्षा समय पर यों नहीं हुई ?

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में जो वेकेंसी आई थी तब भी नौजवानों ने करोड़ों फार्म भरे थे, तब कितनी जल्दी स्क्रूटनी हो रही थी। क्या तारीख़ का ऐलान इसलिए किया गया कि इस वत छात्रों के बीच व्यापक एकता बनी है वो टूट जाए? ऐसा कहने के कुछ आधार हैं। इस आंदोलन की कसौटी एक ही है। ज्वाइनिंग। उसके बाद परीक्षा और रिजल्ट के ऐलान का नंबर आता है। रविवार को आंदोलन शुरू हुआ तब एसएससी को कहना पड़ा कि सितंबर के अंत तक तीन परीक्षाओं के रिजल्ट निकाल दें। उसके बाद दस्तावेज़ जांच और ज्वाइनिंग में भी एक साल निकालने का इरादा है या वो भी इसी साल पूरी करेंगे, इस पर कोई जवाब नहीं आया। कोई मंत्री सामने आए तब तो पता चले कि सरकार इस आंदोलन से हिल गई है। खैर एसएससी के छात्रों को सितंबर के बाद ही पता चल जाएगा कि उनकी ज्वाइनिंग को लेकर सरकार कितनी ईमानदार है?

मैनें नौकरी सीरीज पर कई बार कहा और लिखा है कि जब तक आप अपनी-अपनी परीक्षाओं की लड़ाई लड़ेंगे तब तक कुछ नहीं होगा। सबको अपनी और दूसरे की परीक्षा के लिए लडऩा होगा। बिहार के नौजवान को दिल्ली के लिए और मध्य प्रदेश के नौजवान को राजस्थान के लिए लडऩा होगा। ठीक है कि एकता का एक नज़ारा मिला लेकिन या यह एकता दूसरी परीक्षाओं के सताए नौजवानों के लिए टिकी रहेगी या फिर से अपना-अपना हो गया जो सरकार चाहती है कि ऐसा ही हो जाए। अगर केंद्र और राज्य सरकारें बीस परीक्षाओं पर चुप रहें और तीन की तारीख़ का ऐलान कर दें तो या रवीश कुमार उस आंदोलन को सफल कहेंगे, ज़ाहिर है नहीं कहेंगे। बहुत से बहुत आंशिक सफल कहेंगे। जैसे कोई हड़ताल पूर्ण रूप से नहीं, आशिंक रूप से सफल होती है। या इस आंदोलन से कुछ भी हासिल नहीं हुआ, इसके कुछ जवाब है। छात्रों ने बिना मीडिया के सरकार को बता दिया कि बेरोजगारी को आप हिन्दू मुस्लिम डिबेट और गोदी मीडिया के प्रोपेगैंडा से नहीं ढंक सकते। उनके हाथ में अब वही थाली है जो प्रोपेगैंडा के नाम पर बजवाई गई थी। इस चेतना का आना भी एक नई आहट है।

रविश कुमार
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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