संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी

0
228

संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से होगा सर्व संकटों का शमन
श्रीगणेशजी के पूजा-अर्चना से मिलेगी सुख-समृद्धि, खुशहाली
चन्द्रोदय रात्रि 6 बजकर 41 मिनट पर

हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अनन्त है। प्रत्येक शुभ कार्यों में श्रीगणेशजी की पूजा सर्वप्रथम की जाती है। खुशहाली के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक मान्यता है। प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत रखने का विधान है। इस बार यह व्रत गुरुवार, 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि गुरुवार, 17 अक्टूबर को प्रातः 6 बजकर 48 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन शुक्रवार, 18 अक्टूबर को प्रातः 7 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत गुरुवार, को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।

भगवान श्रीगणेशजी ऐसे होंगे प्रसन्न – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी के अनुसार व्रत के दिन प्रातःकाल ब्रह्मामुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्ति होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात अपने दाहिने हाथ में चल, पुष्प, गन्ध व कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुनः स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को मोदक एवं दूर्वा अति प्रिय है, अतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल मवे एवं मोदक अवश्य अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

ऐसे होगी मनोरथ की पूर्ति ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रीगणेश जी की महिमा में श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश सहस्त्रनाम, श्रीगणेश अवर्थशीर्ष श्रीगणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित मंत्र-स्तोत्र आदि जो भी सम्भव हो अवश्य किया जाना जाहिए। व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों का शुभ फल नहीं मिल रहा हो उन्हें आज के दिन व्रत उपवास रखकर प्रथम पूज्यदेव श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी की अर्चना से सर्वसंकटों के निवारण के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली सदैव मिलती रहती है।

ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के ग्रहजनित दोष हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्वविघ्न विनाशक प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान समय में जिन्हें अपने जीवन में संकटों का समाना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज के दिन श्रीगणेश जी का दर्शन-पूजन करके व्रत रखना चाहिए। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष, विद्यार्थियों एवं अन्य जनों के लिए समानरूप से फलदायी है। श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए संकष्टी श्रीगणे चतुर्थी के व्रत से जीवन में सर्वसंकटों का निवारण तो होता ही है, साथ ही सुख-समृद्धि खुशहाली एवं सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here