श्रावण मास : जानिए भगवान शिवजी की पूजा अर्चना का विधि विधान

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भारतीय संस्कृति में भगवान शिवजी की महिमा अपरम्पार है। पृथ्वी के हर कण-कण व हर जीव में शिवजी विद्यमान हैं। भगवान् शिवजी की असीम कृपा की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव की भक्तिभाव से की गई पूजा सदैव फलित होती है।

भगवान शिवजी की पूजा का विधान – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रद्धालु भक्तों को प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान, ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायंकाल प्रदोष काल में भगवान् शिव की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। भगवान शिवजी को प्रिय धतूरा, बेलपत्र, मदार की माला, भांग, ऋतुफल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिवजी की महिमा, यश व गुणगान में शिव मन्त्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव सहस्रनाम एवं शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मन्त्र ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ॐ ‘ या ‘ ॐ नमः शिवाय’ का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में रुद्राभिषेक से समस्त अनिष्टों का शमन होता है तथा मनोकामना की पूर्ति होती है। प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री विमल जैन ने बताया कि श्रावण मास में खास वस्तुओं से बने शिवलिंग की पूजा-अर्चना भक्त के मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है। भगवान शिवजी की अर्चना के लिए श्रावण मास अतिविशिष्ट माना गया है। सर्वप्रिय मनभावन श्रावण मास का शुभारम्भ 14 जुलाई, गुरुवार से हो रहा है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश- त्रिदेव में शिव सम्पूर्ण सृष्टि के पालनहार एवं मृत्यु हरने वाले देवता माने गए हैं। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान् शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत है। जिनके दर्शन, पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्वसंकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। शिवजी की महिमा में मास के सभी सोमवार, त्रयोदशी एवं चतुर्दशी को व्रत उपवास रखकर, रुद्राभिषेक करके विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके, समस्त सुखों की प्राप्ति की जा सकती है। ऐसी मान्यता है कि शिवपूजा से भक्तों पर आनेवाले अनिष्ट, कष्ट एवं अकाल मृत्यु को भगवान् शिव स्वयं अपनी विशेष कृपा से हर लेते हैं। श्रावण मास में शिवालय में कांवड़ चढ़ाने की मान्यता है। शिवभक्त अपनी परम्परा के अनुसार भगवान शिवजी का अभिषेक करके विशेष पुण्य के भागी होते हैं।

श्रावण मास में पड़ेंगे चार सोमवार-इस बार प्रथम सोमवार 18 जुलाई, द्वितीय सोमवार 25 जुलाई, तृतीय सोमवार-1 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार-8 अगस्त। इस मास में प्रमुख पर्व- नाग पंचमी -2 अगस्त, मंगलवार को तथा रक्षा बन्धन-12 अगस्त, शुक्रवार को शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जानेवाला प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार तथा 9 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा। मास शिवरात्रि भी इस बार 26 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है, इस दिन श्रद्धालु शिवभक्त शिवजी का दर्शन-पूजन करके लाभान्वित होंगे। हरियाली अमावस्या 28 जुलाई, गुरुवार तथा हरियाली तीज-31 जुलाई, रविवार को पड़ेंगे।

———–प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन

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