शीला को छोड़ किसी ने इफ्तार की दावत नहीं दी

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इस बार इफ्तार नहीं बड़े मंगल का भंडारा कर रही थी राजनैतिक पार्टियां। इसे भारतीय जनता पार्टी की धमाकेदार जीत का असर कहिए या बदलते राजनीति माहौल की फिजा, ईद आज है लेकिन लखनऊ से सेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में इफ्तार पार्टियां कमोबेश नदारद ही रही हैं। भाजपा के नेताओं ने तो पांच साल पहले ही इफ्तार पार्टियां बंद कर दी थीं लेकिन अन्य पार्टियों ने यह परंपरा जारी रखी थी। इस बार अभी तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस को छोडक़र किसी भी पार्टी ने इफ्तार की दावत नहीं दी । शायद अब उन्हें यह लग रहा है अल्पसंगयकों को खुश करने की कोई भी कोशिश उनके बहुसंख्यक समर्थकों को नाखुश कर सकती है। कुछ समय पहले तक रमज़ान के महीने में लुटियन दिल्ली के बंगले हर रोज इफ्तार पार्टी से गुलजार होते थे।

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और ग़ुलाम नबी आजाद, पूर्व विदेश मंत्री सलमान ख़ुर्शीद, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, भाजपा नेता सैयद शाहनवाज़ हुसैन तथा मायावती के सिपहसालार रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी हर साल भव्य पार्टी देते रहते थे। कुछ वर्ष पहले तक लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास और राजभवन तक में इफ्तार पार्टी आयोजित होती थी। सभी धर्मों के और राजनीतिक दलों के सैंकड़ों लोग इन पार्टियों में भाग लेते थे। गोल जालीदार टोपी लगाए नेताओं की फोटो अखबारों में छपती थीं। किसकी पार्टी में ज्यादा सेलेब्रिटीज़ खासतौर पर फि़ल्मी हस्तियों, विदेशी मेहमानों और उद्योग जगत के बड़े नामों ने हिस्सा लिया, इसे लेकर नेताओं में होड़ लगी रहती थी।

प्रधानमंत्री रहते डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री आवास में और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने हर वर्ष राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी आयोजित की। प्रधानमंत्री के पद पर रहते अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी भी रेसकोर्स रोड स्थित प्रधानमंत्री आवास पर इफ्तार पार्टी नहीं दी लेकिन वे रामविलास पासवान से लेकर शाहनवाज़ हुसैन तक सभी की पार्टियों में हिस्सा जरूर लेते थे। लेकिन 2004 के चुनाव में शाहनवाज़ हार गए थे और मंत्रियों वाला बंगला खाली कर उन्हें एक फ्लैट में जाना पड़ा था। ऐसे में 2005 के रमज़ान में शाहनवाज के बदले वाजपेयीजी ने अपने कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास पर इफ्तार का आयोजन क या था। ईद आ गई है लेकिन अभी तक पार्टी या नेता ने इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया है। समाजवादी पार्टी ने तो इस बार लखनऊ में इफ्तार की जगह बड़े मंगलवार के अवसर पर भंडरा आयोजति किया।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी चुनाव के दौरान मंदिरों के चक्कर लगाते ही नजऱ आए। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ही एक मात्र अपवाद हैं जिन्होंने इसी जुमे (शुक्रवार) को प्रदेश पार्टी कार्यालय में अलविदा की नमाज के मौके पर बहुत सीमित लोगों के लिए इफ्तार आयोजित किया। कांग्रेस नेता सिराज मेहदी का कहना था कि इस बार इफ्तार के लिए माक़ूल माहौल नहीं था। पहले तो सभी चुनाव प्रचार में घूमते रहे फिर नतीजे आने के बाद ग़मज़दा हो गए। रही सही कसर राहुल गांधी के इस्तीफ़े ने पूरी कर दी। ऐसे गमगीन माहौल में इफ्तार पार्टी कौन आयोजित करता ? भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन कहते हैं कि 2014 से पहले तक वे हर साल इफ्तार देते थे और ईद मनाते थे। लेकिन पिछले पांच साल से केवल ईद की दावत ही देते हैं क्योंकि रोजा तोडऩे के लिए आयोजित इफ्तार पार्टी एक सियासी प्रक्रिया में बदल गई है। यह अपने को सेक्यूलर बताने का एक ज़रिया बन गया था।

अजय कुमार
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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