आजादी के 74 साल बाद अगर देश में राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़प हो, जिसमें बेकसूरों को जान जा चली जाए तो चिंता पैदा करने वाली बात है। असम-मिजोरम की विवादित सीमा पर हिंसा में असम पुलिस के 5 जवानों व एक नागरिक यानी 6 लोगों की मौत हो गई। 50 से अधिक घायल है। इस हिंसा ने पूरे देश का ध्यान पूर्वोार के दो राज्यों के सीमा विवाद की ओर खींचा है। असम का विवाद सिर्फ मिजोरम से नहीं है, बल्कि उन सभी 6 राज्यों से है, जिनके साथ वह सीमा साझा करता है। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद तब गहराया, जब असम पुलिस ने अपनी जमीन पर कथित अतिक्रमण हटाने की मुहिम शुरू की। यह हिंसा गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे के ठीक दो दिन बाद हुई। इससे पहले पिछले साल अटूबर में भी दो बार दोनों राज्यों की सीमा पर आगजनी और हिंसा हुई थी। पहली बार 9 अटूबर को जब मिजोरम के दो लोगों को आग लगा दी गई थी। इसके कुछ दिन बाद कछार के लोगों ने मिजोरम पुलिस और वहां के लोगों पर पत्थरबाजी की थी। यह विवाद नया नहीं है, बल्कि 100 साल से भी पुराना है, जब यहां ब्रिटिश शासन हुआ करता था।
उस समय मिजोरम को असम का लुशाई हिल्स कहते थे। 1995 के बाद कई दौर की बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। मिजोरम के तीन जिले आइजोल, कोलासिव और ममित असम के कछार करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ लगभग 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। 1950 में असम भारत का राज्य बन गया। उस समय असम में आज के नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम आते थे। वे राज्य असम से अलग हो गए तो उनके अपने पूर्व राज्य से सीमा विवाद रहने लगे। नॉर्थईस्टर्न एरिया (रीऑर्गनाइजेशन) एट 1971 के तहत असम से तीन नए राज्य बनाए गए.मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा। 1986 में मिजो पीस एकॉर्ड के तहत मिजोरम को अलग राज्य बनाया गया। इसमें ही सीमा तय की गई है। यह मिजो ट्राइव्स और केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत था। इसका आधार 1933 का एग्रीमेंट था, पर मिजो ट्राइब्स का कहना है कि उन्होंने 1875 आईएलआर (इनर लाइन रेगुलेशन) बॉर्डर को स्वीकार किया। नियम 1875 को माने या 1933 कोए इस पर ही असम और मिजोरम के बीच विवाद बना हुआ है। असम और मिजोरम की सीमा काल्पनिक है, ये नदियां, पहाड़, घाटियों व जंगलों के साथ बदलती रहती है।
पिछले कुछ सालों में यह समस्या जियोग्राफिस से बढ़कर एथनिक बन गई है। असम के सीमावर्ती इलाकों के ज्यादातर रहवासी बंगाली हैं, मुख्य रूप से मुस्लिम। मिजोरम के लोग उन्हें शक की नजर से देखते हैं। उनका आरोप है कि बिना कागजों वाले यह माझोंट्स उनके राज्य में आकर जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। विवाद सुलझाने के लिए असम और मिजोरम ने समझौता किया था कि सीमाई इलाके नो मैन्स लैंड होंगे। मिजोरम ने असम के साथ सीमा आयोग का भी गठन किया। पर इससे विवाद खत्म नहीं हुआ। गतिरोध बना रहा। देश में हरियाणा हिमाचल प्रदेश, लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र कर्नाटक तथा असम व अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय और मिजोरम के बीच सीमाओं के निर्धारण के बाद भी सीमा विवाद हुए हैं तथा उनके बीच क्षेत्र संबंधी दावे एवं प्रति दावे किये गए हैं। केंद्र सरकार को तत्परता से देश के राज्यों के बीच सभी सीमा विवादों का जल्द से जल्द निराकरण करना चाहिए। देश के अंदर सीमा को लेकर अपने ही नागरिकों के बीच हिंसा कतई स्वीकार्य नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है।