शरीर धर्म से बड़ा हो गया

0
276

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने देश सेवकों की तरह अपना आस्था चैनल शुरू करते हुए कहा- तोताराम, प्रत्येक जीव हर हालत में अपने प्राणों की रक्षा करता है। तभी शास्त्रों में कहा गया है- ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ इस प्रकार शरीर धर्म से भी बड़ा हो गया। इसी का हूबहू अनुवाद लोक में खूब प्रचलित है- काया राख धरम है मतलब काया की रक्षा करो क्योंकि काया के बिना धर्म का पालन कौन करेगा। लेकिन इसी लोक में कुछ ऐसे सिरफिरे लोग भी होते हैं जो धर्म के लिए प्राण दे देते हैं। कर्ण, दधीचि, शिवि, रंतिदेव आदि ऐसे ही कुछ नाम हैं। जब भगतसिंह को जेल से छुड़ाकर ले जाने की बात आई तो उन्होंने इसलिए मना कर दिया कि आज जो मेरे नाम पर सिर झुकाते हैं, कल थूकेंगे। यश को अपना जीवन मानने वाले लोगों को ही शास्त्रों ने यश:काय कहा जाता है। बोला- बात को इतना घुमाता क्यों है? ज़माना बदल गया है। आज यश के लिए काया को कष्ट देने की जरूरत नहीं है।

पैसे के बल पर मीडिया में विज्ञापन देकर यश कमाया जा सकता। यह यश कमाना भी एक प्रकार का निवेश है। पहले निवेश के बल पर यश कमाओ फिर उस यश से पद प्राप्त करो। पद से धन प्राप्त होगा। फिर उस धन को और यश; और फिर और बड़ा पद; फिर और धन प्राप्त करने के लिए निवेश करो। यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जहां तक धर्म के प्राणों से संबंध की बात है तो पहले यशः काय लोग धर्म के लिए प्राण तक दे दिया करते थे। लेकिन आजकल धर्म के लिए किसी के भी प्राण लेने का फैशन है। यदि धन जनता का हो तो फिर उसे अपने यश विस्तार के लिए निर्दयतापूर्वक खर्च करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यही तो हो रहा है आजकल हर क्षेत्र में। अभी अखबारों में जल संरक्षण के नाम से, हजारों करोड़ रुपये के, छोटी-छोटी ग्राम पंचायतों के सरपंच और ग्राम सेवक के नामों के उल्लेख के साथ विज्ञापन छपे कि नहीं? लेकिन आचरण तो दूर, इन्हें किसी ने पढ़ा तक नहीं।

पढ़े भी तो क्या? एक अखबार में छपे लगभग सभी विज्ञापन एक जैसे क्योंकि सरपंचों को क्या पता? उन्होंने तो अखबार वाले को कह दिया-इतने का बजट है। इसमें जैसा विज्ञापन लगा सके, लगा दो। बजे स्तर पर देखें तो हर पेट्रोल पम्प पर मोदी जी का बड़ा सा फोटो निगरानी कर रहा है। हमने कहा-ऐसी ही एक विज्ञानप उन्नाव जनपद की ऊगू ग्राम पंचायत के अध्यक्ष अनुज कुमार दीक्षित द्वारा छपवाया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित की तस्वीरे हैं और इनके साथ, जिसके कारण भाजपा बदनाम हो रही है उसी सेंगर और उसकी पत्नी के फोटो भी हैं। इससे प्रधानमंत्री तक की छवि खराब होती है। जैसे पहले नीरव मोदी के साथ फोटो पर लोगों ने ऐतराज किया था। बोला-इसमें पंचायत अध्यक्ष की कोई गलती नहीं है।

सुरक्षा की दृष्टि से यह उसी तरह आवश्यक है जैसे अवैध कॉलोनी का नाम किसी तत्कालीन बड़े नेता के नाम पर रखने से कॉलोनी के टूटने का खतरा कम रहता है और भविष्य में कॉलोनी के नयमित होने की संभावना भी रहती है। हमने कहा- और सह तो ठीक है, लेकिन सेंगर वाली बात समझ में नहीं आई। बोला-अबी सेंगर पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है और यदि आरोप सिद्ध हो भी जाए तो उसकी शक्ति और प्रभाव में कोई कमी, न कल थी और न ही आज। राजनीति में संकटों से बचने के लिए इन नौग्रहों का पूजन जरूरी है। और फर राहु, केतु, शनि आदि का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। इसी कारण तो कहा गया है-बसे बुराई जासु तन ताही को सनमान। भलो भलो कहि छोड़िए, खोटे गृह जप-दान।।और ये महाशय तो ग्रह ही नहीं बल्कि आकाश में निर्बध उड़ते उल्का पिंड हैं जो कहीं भी लैंड कर जाते है।

रमेश जोशी
लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here