शनि अमावस्या

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शनिवार के दिन शनि अमावस्या का अनूठा संयोग
शनिदेव की पूजा-अर्चना से बदलेगी किस्मत, मिलेगी सुख-समृद्धि, खुशहाली
1. शनैश्चरी अमावस्या से दिखेगी प्राकृतिक व वैदिक आपदाओं की भरमार
2. मौसम में दिखेगा अजीबो-गरीब परिवर्तन
3. राजनेताओं में रहेगी आपसी खींचतान एवं मतैक्य का अभाव
4. कालसर्पदोश, शनिग्रहदोष व पितृदोष निवारण का है विशेष दिन

भगवान सूर्यदेव के सुपुत्र श्रीशनिदेव जी की महिमा अपरम्पार है। शनिग्रह न्यायप्रिय ग्रह है, शनिवार का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। शनिग्रह की पूजा शनिवार के दिन विशेष फलित होती है, शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक फलदायी होती है। प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि शनि अमावस्या संयोगवश शनिदेव के विशेष दिन शनिवार, 28 सितम्बर को पड़ रही है। आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुक्रवार, 27 सितम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात 3 बजकर 46 मिनट पर लगेगी जो कि शनिवार, 28 सितम्बर को रात्रि 11 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि शनिवार को सम्पूर्ण दिन रहेगी। स्नान-दान-श्राद्ध की अमावस्या शनिवार, 28 सितम्बर को ही है। इसी दिन महालया अमावस्या रहेगी इस दिन सर्वपितृजन के साथ ही पितृ विसर्जन की समापत्ति होगी। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिग्रह की विधि-विधान से की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है, साथ ही शनिग्रहजनित दोषों से मुक्ति भी मिलती है। शनि अमावस्या को कालसर्पदोष का निवारण करना विशेष लाभकारी रहता है। शनि अमावस्या पितृदोष की शान्ति के लिए श्रेयस्कर मानी गई है।

ऐसे करें शनिदेव प्रसन्न – श्री विमल जैन जी ने बताया कि आस्थावान व्रतकर्ता को प्रातःकाल स्नान ध्यान व अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात शनिव्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर सायंकाल पुनः स्नान करके शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने के पश्चात उनको काले रंग की वस्तुएं जैसे- काला वस्त्र, काला साबूत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है। इस दिन शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करवा तथा तेल की अखण्ड ज्योति जलाना उत्तम फलदायी माना गया है। सायंकाल शनिदेव के मन्दिर में रुजा करके दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

शनिग्रह के मुख्य मन्त्रों का जप –

1. ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
3. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सं शनये नमः।
4. ऊँ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः।
5. ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।

शनि भगवान से सम्बन्धित राजा दशरथ कृत शनिस्तोत्र, शनि चालीसा का पाठ व शनिदेव जी की आरती करनी चाहिए। इस दिन काले उड़द के दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए। साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। शनिग्रहजनित दोषों के शमन के लिए आज अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करने के पश्चात गरीबों में काले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

शनिग्रह की अनुकूलता के लिए करें दान – शनिग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करने का विधान है। दान करने से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्त को मंगल कल्याण के आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं। जन्मकुण्डली में शनिग्रह की उत्तम स्थिति ऐश्वर्य एवं वैभव प्रदाता होती है। व्यक्ति को समस्त भौतिक सुख मिलते हैं। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह प्रतिकूल हों या शनिग्रह लेकर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उनका जीवन सुखमय होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान शिवजी व श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य से अभिवृद्धि होती है।

किन जातकों पर है शनिग्रह की अढ़ैया एवं साढ़ेसाती – श्री विमल जैन जी बताया कि वर्तमान समय में शनिग्रह धनु राशि में उपस्थित हैं, फलस्वरूप वृषभ एवं कन्या राशि पर शनिग्रह की अढ़ैया चल रही है, जबकि वृश्चिक, धनु एवं मकर राशि पर शनिग्रह की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। शनिग्रह से प्रभावित जातकों को शनिग्रह के निमित्त शनिग्रह का दर्शन-पूजन, व्रत, दान आदि अवश्य करना चाहिए। जिससे शनिग्रह की अनुभूति बनी रहे।

शनि अमावस्या – शनैश्चरी अमावस्या कठिन व विषम प्रभाव दिखानेवाली होती है। विश्व में अमेकानेक अप्रत्याशित विषम घटनाओं से जनमानस को रूबरू होना पड़ता है। प्राकृतिक एवं वैदिक आपदाओं के साथ मौसम में भी अजीबोगरीब परिवर्तन देखने को मिलता है। यान-वागन दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। विश्व के प्रशासकों को शासन चलाने में मुश्किलें आ सकती हैं, जिससे छत्रभंग की आशंका भी बनी रहती है। राजनेताओ में आपसी खींचतान बना रहेगा। राजनीति के क्षेत्र में नये समीकरण बनते हैं। कहीं-कहीं पर जन-आन्दोलन का भी संकट बना रहेगा। शेयर मार्केट, वायदा व धातु बाजार में विशेष उथल-पुथल के साथ ही अन्य अकल्पित घठनाएं देखने को मिलेगी।

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