वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी

0
371

वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि
दूर्वा व मोदक से होती है श्रीगणपति की विशेष पूजा

सनातन धर्म में 33 कोटि देनी-देवताओं में भगवान श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्यदेव माना जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण विभूषित बुद्धिप्रयादक सुखदाता मंगलमूर्ति भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अनन्त है। श्रीगणेशजी की श्रद्धा, आस्था, विश्वास के साथ की गई पूजा-अर्चना से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बनता है। श्रीगणेश चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष लाभकारी होती है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इस बार 4 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा। श्रावण शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 3 अगस्त, शनिवार की रात्रि 10 बजकर 06 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 4 अगस्त, रविवार की सायं 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। मध्याह्ण व्यापिनी चतुर्थी थिति का मान 4 अगस्त, रविवार को है, जिसके फलस्वरूप वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इस दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रीगणेश भक्त व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक व्रत-उपवास रखकर श्री गणेश जी की पूजा-अराधना करके लाभान्वित होंगे।

कैसे करें श्रीणेशजी को प्रसन्न – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातः काल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होने के उपरान्त अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीगणेश का श्रृंगार करके उन्हें दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू) अन्य मिष्ठान्न ऋतुफल आदि अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप, नैवेद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।

किस पाठ से होंगे मनोरथ पूरे – श्रीगणेश जी की महिमा में उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश चालीसा, श्रीगणेश सहस्तनाम का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश जी से सम्बन्धित विभिन्न मन्त्रों का जप करना लाभकारी रहता है। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थीयों के लिए समानरूप से फलदायी है। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो, उन्हें वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ अलौकिक शान्ति व खुशहाली की प्राप्ति होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here