भले ही सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि खरीद प्रक्रिया और गुणवत्ता को लेकर उसे कोई संदेह नहीं है। हालांकि न्यायमूर्ति के एम जोसेफ ने फैसले से इतर यह कहा है कि देश की सर्वोच्च एजेंसी सीबीआई स्वतंत्र ढंग से मामले के सभी पहलुओं पर जांच कर सकती है। न्यायमूर्ति के इस सुझाव को कांग्रेस ने रेखांकित करते हुए संयुक्त संसदीय समिति गठित कर अभी भी जांच की जरूरत बताई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने फैसले के बाद ट्वीट किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिक र क्षेत्र को रेखांकित करते हुए स्पष्ट संकेत किया है कि मामले की आपराधिक एंगल की जांच सीबीआई कर सकती है। यह काम जेपीसी कर सकती है, उसे जांच की अनुशंसा करने और जरूरत पडऩे पर प्रधानमंत्री को भी तलब करने का अधिकार है।
इस तरह की प्रतिक्रिया से साफ है कि राफेल पर सियासी विवाद जारी रहने वाला है। यह बात अलग है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राहुल गांधी को भविष्य में कोर्ट को घसीटते हुए सियासी बयानबाजी से बचने को कहा है। दरअसल उन्होंने कोर्ट को मिसकोट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कह दिया कि अब तो कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल खरीद में चोरी हुई है। इसी पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए राहुल गांधी से माफी मांगने की अपील की थी। पर कोर्ट में तो राहुल गांधी ने माफी मांग ली, लेकिन सियासत से बाज ना आने का संकेत भी दे दिया। भले ही बीजेपी फैसले को अपनी बड़ी जीत बताती फिरे लेकि न पब्लिक के बीच यह मुद्दा रहने वाला है।
कांग्रेस की मंशा साफ है कि इस मामले में जेपीसी चाहती है ताकि यूपीए-2 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के साथ जो सुलूक हुआ था, वैसा ही पीएम मोदी के साथ हो सके। यह बात और है कि जेपीसी कई मामलों में पहले भी गठित हुई है लेकिन उससे कोई निष्कर्ष निकल कर सामने नहीं आ सका। हां, इतना जरूर हुआ कि सियासत खूब हुई। कांग्रेस को लगता है कि राफेल मामले में जेपीसी बनने से उसे राजनीतिक बढ़त मिलेगी इसीलिए गुरुवार को भी जेपीसी की मांग पार्टी की तरफ से उठी। वैसे पार्टी को एक दर्द और अब भी सताता है। सताना ही चाहिए, वह बोफोर्स दलाली से जुड़ा है। उसमें पूरा गांधी परिवार बार-बार शर्मसार होता रहा है। मि. क्लीन की छवि वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी वैसे ही पब्लिक के बीच संबोधित किया गया जैसा पिछले चुनाव में राहुल गांधी करते रहे हैं।
इसीलिए कोर्ट ने तो विवाद पर विराम लगा दिया है। साथ ही इससे भारतीय वायुसेना की मजबूती समय के साथ और स्थाई होगी। इसकी उम्मीद जगी है। तत्काल एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने फैसले को मील का पत्थर बताया है। अब मोदी सरकार भी रक्षा खरीद के अगले लक्ष्यों की तरफ आगे मजबूती से बढ़ेगी। यह फैसला सरकार का उत्साह बढ़ाने वाला है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बोफोर्स प्रकरण के बाद हर रक्षा सौदे को संदेह की दृष्टि से देखा जाता रहा है। यह भी एक कारण रहा है कि जरूरत महसूस किये जाने के बाद भी सरकारें आगे बढऩे से झिझकती रही हैं।