उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सालाना 6 हजार रुपये देगी। हालांकि इस संवेदनशील पहल को चुनाव बाद मूर्त रूप दिया जाएगा। फिर भी यह ऐलान स्वागत योग्य है उन पीडि़ताओं के लिए जिनकी जिंदगी अपने पति के यहां से ठुकराए जाने के बाद और दुश्वार हो जाती है। बुधवार को तलाक पीडि़त महिलाओं से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संवाद कार्यक्रम में रूबरू थे। इसी के साथ विवाहेत्तर संबंधों पर उन्होंने उन हिन्दू पुरुषों पर भी ऐक्शन लेने की बात कही जो ऐसे मामलों में संलिप्त पाए जाते हैं। बेशक यूपी में भी उपचुनावों का मौसम है, ऐसे समय में इस पर सियासी बखेड़ा खड़ा भी हो सकता है और नहीं भी। वजह महिलाओं से जुड़ी चिंता की हो सकती है। इन सबके बावजूद अच्छी बात यह है कि यूपी सरकार ने खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं की दुश्वारियों से खुद को जोड़ा है। हालांकि किसी भी सरकार से उम्मीद भी यही होती है। इसी तरह की उम्मीद को लेकर संसद में भी विपक्षी नेताओं की तरफ से चिंता जताई गयी थी।
तीन तलाक अपराध घोषित किए जाने के बाद पीडि़ता का पति शिकायत के बाद गिरफ्तार हो जाएगा तब उस महिला व उसके बच्चे का भरण पोषण कौन करेगा? इसी तरह की मांग कई महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से भी उठी थी। देश के स्तर पर पीडि़ताओं के लिए मदद के किसी पैकेज की व्यवस्था नहीं है लेकिन योगी सरकार ने इस दिशा में एक कदम आगे बढऩे का भरोसा दिलाया है। यही नहीं, ऐसी महिलाएं जो गरीबी के चलते मुकदमे का खर्च नहीं उठा सकतीं, उनके लिए सरकार खुद लड़ेगी। सरकार तो संवेदनशील दिखाई देती है, लेकिन राज्य की पुलिस ऐसे गंभीर मामलों में भी टालू रवैया अपनाने से बाज नहीं आ रही। इस तरह के कई मामले सामने आये हैं, जहां तीन तलाक पीडि़ताओं की बात नहीं सुनी जाती। मुकदमे दर्ज करने में आनाकानी होती है। इसका दुखद असर यह है कि सख्त कानून के बावजूद तीन तलाक के मामले थमने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री भी मानते हैं कि उन्हें पुलिस कर्मचारियों की लापरवाही संबंधी शिकायतें मिली हैं।
राज्य के डीजीपी ओपी सिंह को इन मामलों को देखने को कहा है। सभी जोनों के एडीजी पुलिस अफसरों के सामने भी उन्होंने पीडि़ताओं की शिकायतों को तत्परता से कार्रवाई करने को कहा। राज्य के पुलिस तंत्र के भीतर ऐसे लोगों को समय रहते चिन्हित करने की जरूरत है, जिनकी कारगुजारी से सरकार की छवि प्रभावित होती है। हिन्दू महिलाओं की पीड़ा की तरफ भी मोदी सरकार का ध्यान है। इसीलिए उन्होंने ऐसे हिन्दू पुरुषों को सबक सिखाने का संकेत दिया है, जो पहली पत्नी के होते हुए दूसरी स्त्री से शादी करके घर ले आते हैं या फिर पहली पत्नी को छोडक़र दूसरी के साथ हो जाते हैं। याद कीजिए लोक सभा में तीन तलाक बिल पर असुदुद्दीन ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि मुस्लिम महिलाओं की चिंता करने की बजाय मोदी सरकार को उन हिन्दू बहनों की चिंता करनी चाहिए जिन्हें उनके पति छोड़ देते हैं। उन्होंने देश में ऐसी 25 लाख परित्यक्त महिलाओं का आंकड़ा भी दिया था। हालांकि आंकड़े का हवाला देने के पीछे उनका इरादा क्या था, वही जानें। लेकिन यूपी में योगी सरकार ने उनकी चिंता को संज्ञान में लिया है। यह बुधवार को संवाद के कार्यक्रम में स्पष्ट हो गया।