बिहार चुनाव के बचे हुए दो चरण के मतदान से पहले भाजपा और जनता दल यू दोनों ने अलग-अलग तरीके से आरक्षण का दांव चला है। ध्यान रहे बिहार का पिछला पूरा चुनाव आरक्षण के मसले पर हुआ था। चुनाव से ऐन पहले आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा का एक बयान दिया था, जो बिहार चुनाव का मुय मुद्दा बन गया था। उस समय लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों एक साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे थे और भाजपा उनसे अलग थी। पूरे चुनाव भाजपा सफाई देती रही कि किसी हाल में आरक्षण को खत्म नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन लालू-नीतीश के सामने उनकी एक नहीं चली। केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि अगले साल से देश के सैनिक स्कूलों में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलेगा। सैनिक स्कूलों में पहले से आरक्षण है। जिस राज्य में स्कूल हैं वहां के छात्रों के लिए 67 फीसदी सीटें आरक्षित होती हैं। बाकी 33 फीसदी सीटों पर बाहरी छात्रों का दाखिला होता है। इसके लिए लिस्ट ए और बी बनती है। अब दोनों लिस्ट में 15 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति के लिए साढ़े सात फीसदी अनुसूचित जनजाति के लिए और 27 फीसदी ओबीसी के लिए आरक्षित होंगी।
ध्यान रहे देश में कुल 33 सैनिक स्कूल हैं, जो अपनी बेहतरीन गुणवाा के लिए मशहूर हैं। इनका संचालन रक्षा मंत्रालय करता है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने सभी सैनिक स्कूलों के प्राचार्यों को नोटिस भेज दिया है और अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2021-22 से आरक्षण की यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। केंद्र की यह घोषणा पिछड़ा वर्ग के लिए बड़ी खुशखबरी है। दूसरा दांव उधर बिहार में नीतीश कुमार ने चला है। उन्होंने कहा है कि आबादी के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। यह जिसकी जितनी संया भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के पुराने नारे का दोहराव है। अनेक नेता पहले कहते रहे हैं कि आबादी के अनुपात में आरक्षण होना चाहिए। पप्पू यादव ने भी इस बार बिहार चुनाव में कहा है कि उनकी सरकार बनी तो आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह कहना ज्यादा महत्व का है। इसका मतलब है कि एनडीए की सरकार बनी तो आरक्षण बढ़ सकता है। ध्यान रहे बिहार में 54 फीसदी के करीब आबादी पिछड़ी जाति की है। अगर आबादी के अनुपात में आरक्षण की बात हुई तो इसका मतलब होगा कि मौजूदा ओबीसी आरक्षण दोगुना हो जाएगा।
हालांकि भाजपा को लग रहा है कि नीतीश कुमार को इस समय यह बयान नहीं देना चाहिए था। पर भाजपा ने खुद सैनिक स्कूल में ओबीसी आरक्षण की घोषणा की है। सो, ले-देकर दूसरा चरण आते आते भाजपा और जदयू दोनों आरक्षण के मसले पर वोट मांगने लगे हैं। यह भी सच है कि यह छापेमारी चुनाव आयोग के निर्देश पर नहीं की गई है। चुनाव के समय आय कर विभाग की एजेंसियां सक्रिय रहती हैं लेकिन उनका मकसद भ्रष्टाचार उजागर करना नहीं होता है।चुनाव आयोग के साथ मिल कर आय कर विभाग की टीम नकदी की जख्ती करती है। लेकिन बिहार में पिछले हफ्ते जो छापेमारी हुई है वह इस किस्म की नहीं थी। तभी इस पर सवाल उठ रहे हैं कि आय कर विभाग ने अभी छापेमारी क्यों की? आयकर विभाग ने कई ठेकेदारों के यहां छापा मारा। इनमें दो ठेकेदार ऐसे हैं, जिन्होंने बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल जल योजना में काम किया था। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पसंदीदा योजना है, जिसके जरिए उन्होंने हर घर में नल से पानी पहुंचाने का ऐलान किया था। इसके ठेकेदारों के यहां एक केंद्रीय एजेंसी का छापा और नकदी की बरामदगी इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं से जदयू और नीतीश कुमार की चुनावी संभावना को खराब करने का काम हो रहा है।