मौनी/सोमवती अमावस्या

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स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या

स्नान-दान व पुण्यकृत्य होगी मंगलकारी
पितृदोष से भी मिलती है मुक्ति, तिल दान से कटेंगे कष्ट
भगवान शिवजी, श्रीविष्णु जी तथा पीपल वृक्ष की पूजा से मिलती है सुख-समृद्धि

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक हर माह के तिथि पर्व का अपना विशेष महत्व है। प्रख्यत ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि माघमास की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। जब चन्द्रमा व सूर्यग्रह मकर राशि के एक साथ रहते हैं, तो मौनी अमावस्या का संगोय बनता है। इस बार यह तिथि रविवार, 3 फरवरी को रात्रि 11 बजकर 53 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन सोमवार 4 फरवरी को अर्द्धरात्रि 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। मौनी अमावस्या का महापर्व 4 फरवरी, सोमवार को विधि-विधानपूर्व मनाया जायेगा। पितरों की शान्ति के लिए श्राद्धकृत्य भी आज ही के दिन किये जाएंगे। इस बार सोमवार के दिन यह पर्व (मौनी-अमावस्या) होने से और अधिक फलदायी हो गया है।

ऐसे करें पूजा अर्चना – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी के अनुसार आज के दिन शुभ संयोग में गंगा स्नान करके दान पुण्य करने का विशेष फल मिवता है। इस पर्व पर मौन रहकर स्नान करने की धार्मिक मान्यता है। मौन रहते हुए ही देव-दर्शन व दान-पुण्य करना कल्याणकारी माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन ब्राह्मण को घर आमन्त्रित करके उनको सात्विक भोजन करवाना चाहिए। यथासामर्थ्य दान-दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। ब्रह्मण को आंवला, तिल व तिल का तेल, नये वस्त्र तथा काले तिल व गुड़ से निर्मित लड्डू को नये लाल वस्त्र में बांधकर देने का विशेष महत्व है।

पीपल के वृक्ष की विशेष महिमा – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। अमावस्या पर पीपल के वृक्ष व भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट-देवी देवता एवं आराध्य देवी-देवता की पूजा अर्चना से सुख-समृद्धि का योग बनता है।।

पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र – “ऊँ मूलतो ब्रह्रारूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः”। अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। पितरों के निमित्त कांसे के खाली पात्र के साथ ताम्रपात में दूर, जल, काले तिल, काले वस्त्र, स्वर्ण एवं गेहूं का दान करना लाभकारी रहता है। आज के दिन देवों की प्रसन्नता के लिए सफेद तिल तथा पितरों के लिए काले तिल का दान करना शुभ फलदायी माना गया है। सफेद तिल भगवान विष्णु जी को भी विशेष प्रिय है, काले तिल पितरों के तर्पण के लिए काले तिल का दान करना शुभ फलदायी माना गया है। सफेद तिल भगवान विष्णु जी को भी विशेष प्रिय है, काला तिल पितरों के तर्पण में प्रयोग होता है। शनि, राहु एवं केतु ग्रह की शान्ति के लिए काले तिल भगवान विष्णु जी को भी विशेष प्रिय है, काला तिल पितरों के तर्पण में प्रयोग होता है। शनि, राहु एवं केतु ग्रह की शान्ति के लिए काले तिल, तिल का तेल, सरसों एवं अन्य रंग की वस्तुओँ का दान करना विशेष लाभकारी माना गया है। ऐस पौराणिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर दिया गया दान मेरु समान फल देनेवाला माना गया है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि जरूरतमंद असाहय लोगों को ऊनी वस्त्र, कम्बल, स्वेटर एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान आज के दिन अवश्य करना चाहिए। जिनकी जन्मकुण्डली में पितृदोष उपस्थित हो, उन्हें आज के दिन विधि-विधानपूर्वक पितृदोष की शान्ति करवानी चाहअए। इस तिथि विशेष पर किए गए समस्त पूजा-पाठ, दान-पुण्य का महत्व और बढ़ जाता है। पर्व के दिन अपनी जीवनचर्या व दिनचर्या नियमित व संयमित रखना चाहिए।

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