मुहम्मद अली जिन्ना का पाकिस्तान बना एक मज़ाक

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जिन्ना ने पाकिस्तान इसलिए बनवाया था कि वह आदर्श इस्लामी राष्ट्र बने और मुसलमान लोग अपना सिर ऊंचा करके वहां रह सकें लेकिन अब 73 साल बाद भी उसका हाल क्या है? वह एक स्वस्थ और सबल राष्ट्र नहीं, बल्कि एक मज़ाक बन गया है। पाकिस्तान की संसद में उसके एक मंत्री फवाद चौधरी ने अपने ऐंठ दिखाई और बोल दिया कि पिछले साल भारत के पुलवामा में जो आतंकी हमला हुआ था, वह पाकिस्तान ने करवाया था और पाकिस्तानियों ने हिंदुस्तान के अंदर घुसकर उसकी जमीन पर उसको मारा था। उस हमले में भारतीय फौज के 40 जवान मारे गए थे।

चौधरी का यह बयान और इसके साथ इमरान खान का अमेरिका में दिया गया वह बयान कि पाकिस्तान में हजारों आतंकी सक्रिय हैं, क्या सिद्ध करता है ? क्या यह नहीं कि पाकिस्तान, जिसका अर्थ होता है, ‘पवित्र स्थान’, वह घोर अपवित्र कुकर्मों का अड्डा बन गया है। हजारों बेकसूर मुसलमान तो पाकिस्तान में हर साल मारे ही जाते हैं, ये आतंकी भारत और अफगानिस्तान के शांतिप्रिय लोगों को भी नहीं बख्शते ! इन्होंने इस्लाम और आतंक को एक-दूसरे का पर्याय बना दिया है।

इन्हीं की देखादेखी अब कई सिरफिरे मुस्लिम युवकों ने फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों में भी आतंक फैला दिया है। पता नहीं, पाकिस्तान अब कैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कोश के सामने अपना मुंह छपाएगा ? चौधरी के बयान पर जो प्रतिक्रिया नवाज की मुस्लिम लीग के नेता अयाज सादिक ने संसद में की है, उसे सुनकर क्या इमरान की सरकार शर्म से डूब नहीं मर रही है ? सादिक ने कहा है कि पुलवामा कांड के बाद भारतीय पायलट अभिनंदन की रिहाई की बात जब उठी तो विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेनापति क़मर जावेद बाजवा सांसदों के सामने आए। उनके पांव कांप रहे थे और माथे से पसीना चू रहा था।

कुरैशी ने यह भी कहा कि भारतीय पायलट को अल्लाह के खातिर तुरंत रिहा किया जाए, क्योंकि रात 9 बजे भारत का हमला होने वाला है। सादिक के इस बयान पर इमरान सरकार काफी लीपा-पोती कर रही है और फवाद चौधरी भी पलटा खाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान की जनता से पूछिए कि वह अपने नेताओं पर कितना तरस खा रही है।पाकिस्तान में चल रही इस अंदरुनी और आपसी तू-तू का सबसे बड़ा फायदा किसको मिल रहा है ? नरेंद्र मोदी को। पाकिस्तान की जनता में मोदी का डर फैल रहा है और उसका अपने नेताओं और फौज से मोहभंग भी हो रहा है।

डॉ वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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