महागठबंधन को लेकर बसपा व सपा की क्या राणनीति है इसका खुलासा शनिवार को लखऊ में उस वक्त हो जाएगा जब पहली बार मीडिया के सामने एक साथ बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव पत्रकारों से बात करेंगे। माना यही जा रहा है कि इस गठजोड़ को मायावती ही लीड करेंगी, कांग्रेस को साथ नहीं लिया जाएगा। और सपा-बसपा क्रमश 35-36 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इस महागठबंधन के तीसरे जोड़ीदार रालोद को फिलहाल महज तीन सीट मथुरा मुजफ्फरनगर व बागपत ही देने की तैयारी है, लेकिन रालोद किसी भी कितम पर इन तीन सीट के अलावा और तीन सीट कैरान, हाथरस, अमरोहा या बुलंदशहर चाहती है। रालोद ने अल्टीमेटम दिया है कि उसे 6 सीटें चाहिए वरना उसके सामने विकल्प खुले हैं। माना जा रहा है कि रालोद को एक सीट और बढ़ा दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने रालोद की डेढ़ दर्जन सीटों का ऑफर दिया है। खबरें तो यहां तक आ रही हैं कि भाजपा ने भी रालोद को खुला ऑफर दिया है और इसी वजह से रालोद मुखिया अजित सिंह कह रहे हैं कि अभी सीटों को महागठबंधन में आम सहमति नहीं बनी है।
महागठबंधन निषाद पार्टी को भी साथ लेने को तैयार है। उसे एक सीट मिलेगी। कांग्रेस के लिए केवल अमेठी ओर रायबरेली की सीटें छोड़ने को तैयार है। वैसे दोनों ही दलों सपा व बासपा ने ये तय कर लिया है कि यूपी में कांग्रेस को साथ नहीं रखा जाएगा। इसे राहुल गांधी के लिए झटका माना जा रहा है। इस बीच कांग्रेस ने भी एलान कर दिया है कि वो अकेले लड़ेगी। अगर कुछ और दल आकर हाथ मिलाते हैं तो उनका साथ लिया जाएगा। ये तय कर लिया गया है कि महागठबंधन की मुखिया मायावती ही रहेंगी और शनिवार को होने वाली पत्रकार वर्ता में इसका ऐलान भी संभव है जो अखिलेश यादव की ओर से किया जाएगा।
फिलहाल महागठबंधन के साथ तीन ही दल खास हैं। सपा-बासपा के अलावा रालोद। सपा-बसपा के पास फिलहाल सीटें भले ही कम हो लेकिन दोनों का वोट बैंक है और अगर ये दोनों दल भी एक साथ चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को करारा झटका दे सकते हैं। गोरखपुर, फूलपुर, बिजनौर और कैरान में ये साबित भी हो चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 39.6 फीसद वोट मिले थे और सपा-बासपा को 22, सपा के पास 48 तो बसपा के पास 19 विधायक है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 42.6 फीसद तो सपा को 22 फीसद व बसपा को 20 फीसद। बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। सपा के पास फिलहाल सात सीटें हैं। मजबूत सपा हैं लेकिन भाजपा को हराने के लिए सपा मुखिया दो कदम पीछे जाने को तैयार हो गए हैं।
सूत्रों की माने तो रालोद के अड़ियल रूख को देखते हुए 37-37 सीटों के अलावा एक और फार्मूला तैयार किया गया है। उसके मुताबिक समाजवादी पार्टी 35 सीट बसपा 36 सीट और रालोद 3 सीट पर चुनाव लड़ेगी। वही 4 सीट रिजर्व रखी जाएंगी। इसके अलावा गठबंधन अमेठी और रायबरेली में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। प्रेस कांफ्रेस दोहर 12 बजे लखनऊ को होटल ताज में होगी, जिसके लिए मीडिया को आमंत्रित किया गया है। यूपी की राजनीति और खासकर एसपी-बीएसपी के लिए शनिवार का दिन बेहद अहम साबित होगा। इससे पहले राम मंदिर आंदोलन के दौर में 1993 में एसपी और बीएसपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।