महिलाओं को दबाने वाली 7 आदतें

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हमारे देश में सभी पैरंट्स का मकसद अपनी बेटी की परवरिश एक अच्छी लड़की के रूप में करने की होती है। लेकिन वे करते क्या हैं? वे अपनी बेटियों को दबी-कुचली लड़कियों के रूप में बड़ा करते हैं। इस तरह की परवरिश आगे जाकर उन्हें शोषण का शिकार बनाती हैं। दरअसल, लड़कियों को बचपन से ही अजस्ट करना सिखाया जाता है। अजस्टमेंट के नाम पर उन्हें बेबस और लाचार बनाया जाता है। इसके उलट लड़कों को प्रबल और ताकतवर बनाकर पाला जाता है। अपने चारों और अच्छे और सुंदर कपड़े पहने लोगों, खासकर मिडल क्लास को देखकर लगता है कि दुनिया बदल गई है लेकिन यह बदलाव सिर्फ बाहरी है। अंदर से हम नहीं बदले हैं। मैं यहां लड़कियों को दबाने वाली 7 ऐसी आदतें बताऊंगी, जो हमारे जीवन और परवरिश का हिस्सा हैं:-

2012 के निर्भया कांड के बाद मैंने एक प्रोजेक्ट शुरू किया जिसका मकसद यह जानना था कि यौन हिंसा की जड़ें कहां हैं? जब यह पूछा गया कि एक अच्छी लड़की क्या होती है तो युवाओं के जवाब हैरान करने वाले थे। उससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह थी कि ये सब पढ़े-लिखे मिडल क्लास लोग थे। इसके बाद यह प्रोजेक्ट मेरी जिंदगी का सबसे अहम प्रोजेक्ट बन गया।

1. तुम्हारा कोई शरीर नहीं है
किसी लड़की को इंसान से ‘भूत’ बनाने यानी उसके वजूद को नकारने की पहली शुरुआत तब होती है, जब हम उसे बताते हैं कि उसका कोई शरीर नहीं होता। ज्यादातर घरों में शरीर के बारे में बात ही नहीं होती। यही वजह है कि शारीरिक शोषण का शिकार होने के बावजूद लड़कियां किसी के सामने मुंह नहीं खोलतीं, अपनी मां के सामने भी नहीं। 90 फीसदी महिलाएं दूसरों के निगेटिव कमेंट्स की वजह से खुद के शरीर को ही नापसंद करने लगती हैं। इससे उन पर नकारात्मक असर पड़ता है।

2. चुप रहो
अब जिसका कोई शरीर नहीं है, तो उसकी आवाज़ कैसे होगी/ 80 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उन्हें बचपन से ही बात-बात पर कहा गया – आराम से बात करो, प्यार से बात करो, ज्यादा मत बोलो, पलट कर जवाब मत दो और चुप रहो, कहा गया। साथ ही ‘जाने दो, क्या फायदा’ यह भी बार-बार सुनाया गया। पढ़ी-लिखी महिलाओं ने भी कहा कि उनकी सबसे बड़ी समस्या चुप रह जाना या किसी के सामने बोल नहीं पाना रहा है।

3. दूसरों को खुश रखो
हमेशा दूसरों को खुश रखो, कभी किसी से ‘ना’ मत कहो, किसी से नाराज मत हो, यही लड़कियों को बचपन से सिखाया और समझाया जाता है। 25 साल की दर्शा कहती हैं, ‘मैं बहुत ही लचीली हूं। जो दूसरे चाहते हैं, मैं वह आसानी से कर सकती हूं।’ ऐसी सोच के कारण ही लड़कियां दूसरों को खुश करने के लिए अपनी खुशी और पसंद की अनदेखी करती जाती हैं और फैसले लेने से डरने लगती हैं।

4. तुम्हारी कोई सेक्सुअलिटी नहीं है
हमारे देश की इतनी बड़ी आबादी यह बताने के लिए काफी है कि सेक्स हमारे लिए कोई नई बात नहीं है लेकिन कोई महिला अपनी सेक्सुअलिटी की बात करे, तो यह वाकई नई बात होती है। लोगों को यह बर्दाश्त नहीं होता कि कोई लड़की या महिला अपनी सेक्सुअल इच्छा या प्राथमिकता के बारे में बात कैसे कर सकती है? जिस महिला को अपने शरीर से प्यार करने का हक नहीं है, उसे सेक्सुअलिटी जाहिर करने का हक कहां से होगा?

5. महिलाओं पर भरोसा नहीं कर सकते
हमारे समाज में पुरुषों पर भरोसा ज्यादा किया जाता है। डीयू में विमिन इम्पावरमेंट पर काम करने वालीं रुचि कहती हैं कि मैं महिलाओं पर भरोसा नहीं करती। वे जलनखोर होती हैं और पीठ पीछे बुराई करती हैं। जब पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसा कहती हैं तो बाकियों के बारे में क्या कहें? महिलाओं का एकजुट न होना उन्हें हराने या खत्म करने में काफी मदद करता है।

6. चाहत से ऊपर जिम्मेदारी
महज 15 साल की मुस्कान एक अच्छी लड़की की परिभाषा बताती हैं: दयालु, सौम्य, बिना शर्त दूसरों की मदद करने वाली, प्यार करने वाली, अपनी हर जिम्मेदारी पूरी करने वाली… उफ्फ… काफी थकानेवाली है यह लिस्ट। जिम्मेदारियों को पूरा करते-करते अपनी सारी चाहतें पीछे छूट जाती हैं।

7. पूरी तरह पुरुष पर निर्भर रहना
अपने हर काम के लिए पुरुषों पर निर्भर रहना, महिलाओं को और कमज़ोर करता है।

ये 7 आदतें, जो हमें अच्छी और संस्कारी लगती हैं, इन्होंने महिलाओं को खत्म किया है। दरअसल, हमें लचीली महिलाएं नहीं चाहिए, हमें लचीली परिभाषाएं चाहिए। हमें ऐसे पुरुष चाहिए, जो इसमें हमारा साथ दें। महिलाओं, अब तुम्हें अजस्ट नहीं करना, पुरुषों को अजस्ट करना है।

दीपा नारायण
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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