इस बार के चुनावों की खासबात यह है कि देश के सभी 543 लोकसभा सीटों के मतदान केन्द्रों पर वीवीपैट मशीने लगाई जाएगी। यह अवश्य है कि पहले की तरह वीवीपैट और ईवीएम के मिलान का कार्य होगा हांलाकि सभी केन्द्रों के मिलान के कार्य को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण विचारधीन है और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देशों के बाद स्थिति और अधिक स्पष्ट हो सकेगी।
17 वीं लोकसभा के चुनावों का विगुल बज चुका हैं। सात चरणों में होने वाले चुनावों के लिए दो चरणों की 188 सीटों के लिए नामांकन का काम भी पूरा हो गया है। इन सीटों पर नाम वापसी के बाद चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की स्थिति भी साफ हो जाएगी। आने वाले दिनों में बाकी चरणों के चुनावों की अधिसूचना जारी होने से नामांकन भरने तक का काम आरंभ हो जाएगा। 19 मई तक सात चरणों में चुनाव का कार्य लगभग पूरा हो जाएगा और फिर सब की जनर 23 मई को होने वाली मतगणना की ओर लगा रहेगा। देशवासियों को चुनाव आयोग पर गर्व है। समूची दुनिया में हमारी चुनाव प्रणाली को श्रेष्ठता की नजरों से देखा जाता है। यह दूसरी बात है कि हमारे देश में ही हारने वाले दलों द्वारा ईवीएम को लेकर प्रश्न उठाए जाते रहे हैं जिन्हें चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज करते हुए खुली चुनौती देकर लगभग नकार दिया है।
चुनावों के साथ आया राम? गया राम का दौर भी शुरु हो गया है। लोक लुभावन घोषणाओं का दौर आरंभ हो गया है। चुनाव रैलियों के दौर में आने वाले समय में ना जाने कितने नारे उछलेंगे और मतदान के दिन ज्यों-ज्यों पास आएंगे त्यों-त्यों चुनाव के मुद्दों में से भी ना जाने कौन सा मुद्दा रहेगा और कौन सा पर्दे के पीछे चला जाएगा। पर इन सबसे परे जो महत्वपूर्ण बात है वह यह कि चुनाव आयोग ने समूचे देश में साफ सुथरा चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर ली है। इस बार के चुनावों की खासबात यह है कि देश के सभी 543 लोकसभा सीटों के मतदान केन्द्रों पर वीवीपैट और ईवीएम के मिलान का कार्य सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देशों के बाद स्थिति और अधिक स्पष्ट हो सकेगी पर एक बात साफ है कि सभी मतदान केन्द्रों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाने से चुनावों में और अधिक पारदर्शिता आ सकेगी।
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने जो दूसरा फैसला इस साल के चुनावों के लिए किया है वह है ईवीएम मशीनों में प्रत्य़ाशियों की फोटों को भी प्रदर्शित करने का निर्णय है। इससे अब मतदान किसी भी भ्रम में नहीं रहेगा और समान नाम या चुनाव चिन्ह से मिलते-जुलते नामों के चलते मतदान के समय मतदाता के सामने गफलत की स्थिति नहीं रहेगी। इसी कारण से चुनाव आयोग ने अभ्याथियों से नवीनतम पासपोर्ट आकार की फोटों संलग्न करने को कहा है। तीसरी और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार चुनाव आयोग जीपीएस ट्रेकिंग व्यवस्था लागू करने जा रहा है। इससे मुख्यालय से लेकर तमदान केन्द्र और फिर मतगणना स्थल तक ईवीएम की ट्रेकिंग होने के साथ ही चुनाव आयोग ने फोटो युक्त मतदाता सूची तैयार कर ली है। करीब 99.36 फीसदी मतदाताओं के फोटो पहचान पत्र बन गए हैं। इसके साथ ही अब चुनाव आयोग ही चुनावों के साफ सुथरा बनाए रखने को ध्यान में रखते हुए मतदान केन्द्र की जानकारी से युक्त मतदाता परचियों को वितरण भी शुरु किया है।
इससे अब किसी भी तरह से मतदाताओं को प्रभावित करने या मतदाताओं में मतदान बूथ को लेकर असंमजस की स्थिति नहीं रहेगी। देखा जाए तो भारत के निर्वाचन आयोग ने निरंतर सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए निष्पक्ष और निर्भिक होकर मतदान के अवसर उपलब्ध कराने की पहल की है। मतदाताओं को जागृत करने के लिए अभियान चलाकर पूरी प्रक्रिया को समझाया जा रहा है। स्थान पर मतदान केन्द्र स्थापित किए गए हैं। ऐसे में अब मतदाताओं को सुरक्षा प्रदान करने के साथ की उनके निकटतम स्थान पर मतदान केन्द्र स्थापित किए गए हैं। ऐसे में अब मतदाताओं का दायित्व हो जाता है कि वे अपने मताधिकार का उपयोग अवश्य करें। यही सही है कि 1951 के चुनाव में जहां देश में 44.1 फीसदी मतदान हुआ था वह 2014 के चुनाव आते आते बढ़कर 66.8 प्रतिशत तक पहुंच गया पर मतदान के इस प्रतिशत को किसी भी स्थिति में संतोषजनक नहीं माना जा सकता। दो तीन साल पहले सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी का भावार्थ सामायिक और महत्वपूर्ण हो जाता है कि आपने यदि मताधिकार का उपयोग नहीं किया है।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
लेखक वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं।