महान समाजसुधारक, सभी वर्गों की शिक्षा के लिए अहम भूमिका निभाने वाले, स्त्री शिक्षा और छुआछूत का विरोध करने वाले भारतीय विचारक, समाजसेवी ज्योतिबा फूले जी को जन्मदिवस पर सादर नमन।
ज्योतिराव गोविंदराव फुले (Jyotirao Phule) महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी थे. उन्होंने महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए के लिए अनेक कार्य किए थे.
ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. ज्योतिराव फुले को ‘महात्मा फुले’ (Mahatma Phule) और ‘ज्योतिबा फुले’ (Jyotiba Phule) के नाम से भी जाना जाता है. ‘महात्मा फुले’ ने महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए के लिए अनेक कार्य किए थे. ज्योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे. महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. उनकी माता का नाम चिमणाबाई और पिता का नाम गोविन्दराव था. उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों का काम करने लगा था, जिसके चलते उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी. ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के मौके पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें बता रहे हैं…
महात्मा ज्योतिराव फुले (Mahatma Jyotiba Phule) के जीवन से जुड़ी 10 बातें…
1. ज्योतिराव फुले (Jyotirao Phule) महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे. महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था.
2. ज्योतिराव का परिवार फूलों के गजरे बनाने का काम करता था. यही वजह थी कि उनके परिवार को फुले के नाम से जाना जाता था. जब ज्योतिबा सिर्फ एक साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया.
3. ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) ने कुछ समय तक मराठी में पढ़ाई की, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की.
4. महात्मा फुले (Mahatma Phule) का विवाह साल 1840 में सावित्री बाई से हुआ था.
5. स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज में उन्हें पहचान दिलाने के लिए उन्होंने 1854 में एक स्कूल खोला. यह देश का पहला ऐसा स्कूल था जिसे लड़कियों के लिए खोला गया था. लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया. कुछ लोग आरंभ से ही उनके काम में बाधा बन गए. लोगों ने उनके पिता पर दबाव बनाकर पत्नी समेत उन्हें घर से बाहर निकलवा दिया. इन सबके बावजूद ज्योतिबा का हौसला डगमगाया नहीं और उन्होंने लड़कियों के तीन-तीन स्कूल खोल दिए.
6. गरीबो और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया. उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 में मुंबई की एक सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से नवाजा गया.
7. ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली. बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे.
8. उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए. उन्होंने दलितों के बच्चों को अपने घर में पाला और उनके लिए पानी की टंकी भी खोल दी. नतीजतन उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया गया.
9. ज्योतिबा फुले और उनके संगठन सत्यशोधक समाज के संघर्ष की बदौलत सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया
10. महात्मा ज्योतिबा फुले ने 63 साल की उम्र में 28 नवंबर 1890 को पुणे में अपने प्राण त्याग दिए.